कौसानी (Kausani )उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों का जिक्र हो और उसमे कौसानी का नाम न आये ऐसा कैसे संभव है। आज हम आपको भारत के स्विट्ज़रलेंड कहे जाने वाले एक खूबसूरत पहाड़ी गांव कौसानी के बारे में बताएंगे तो पोस्ट को अंत तक पढ़ें। :))
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कौसानी | Kausani
कौसानी, भारत की खूबसूरती को दर्शाता उत्तराखंड का एक छोटा सा गाँव, जिसे “भारत का स्विट्ज़रलैंड” भी कहा जाता है। कौसानी उत्तराखंड राज्य के बागेश्वर जिले में स्थित एक छोटा सा गाँव है। कौसानी का पुराना नाम बलना था। यह एक पर्वतीय पर्यटक स्थल है। पिंगनाथ चोटी पर बसा यह गांव हिमालय की खूबसूरती को अपने आप में समेटे हुए है।
कौसानी, कोसी और गोमती नदी के बीच में बसा है। इसका मनमोहक दृश्य, नैसर्गिक सुंदरता, पहाड़ी बसावट और धार्मिक पर्येटक स्थल किसी का भी मन मोह लेते है।
कौसानी से 300 किमी में फैले हिमालय की त्रिशूल, नंदादेवी और पंचाचूली की सुन्दर पर्वत श्रृंखलाओं का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है। अगर में इस गांव की साक्षरता दर की बात करूं तो आप हैरान हो जाओगे कि इस छोटे से गांव में साक्षरता दर 86.80% है। जिसमे पुरुष साक्षरता दर 96% व महिला साक्षरता दर 79% है।
यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती और टूरिज्म है। चाय की खेती के लिए भी इस छोटे से गांव को जाना जाता है। वर्ष 2000-2001 में स्थापित कौसानी टी स्टेट से 30 हजार किलोग्राम चाय की पैदावार हुई थी। उत्तराखंड की प्रसिद्ध गरियास टी का उत्पादन यहीं होता है।
कौसानी का इतिहास | History Of Kausani
कौसानी गांव का नाम कौसानी, कौशिक मुनि की वजह से पड़ा । कहा जाता है कि कौशिक मुनि ने इस स्थान पर कठोर तपस्या की थी इसलिए इस जगह को कौसानी कहा जाता है। कौसानी के ठीक सामने कत्यूर घाटी है। कत्यूरी घाटी कत्यूरी शासकों की सांस्कृतिक इतिहास के भी दर्शाता है। कौसानी गांव को याद रखने के दो अन्य कारण भी हैं।
पहला कारण है, भारत के प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत जिनका जन्म सन 1900 में कौसानी गाँव में हुआ था । दूसरा महात्मा गाँधी जी, जिन्होंने वर्ष 1929 कुमाऊं दौरान 12 दिन कौसानी में रहकर अनासक्ति योग की पृष्ठभूमि लिखी थी।
गाँधी जी ने ही कौसानी को “भारत के स्विट्ज़रलैंड” की उपाधि दी और “यंग इंडिया” नामक पुस्तक में कौसानी की सुंदरता का वर्णन किया। गांधी जी के यंग इंडिया में कौसानी के खूबसूरती के वर्णन के बाद कौसानी सम्पूर्ण विश्व में एक पर्यटक स्थल के रूप में जाना जाने लगा ।
कौसानी में स्तिथ प्रमुख दार्शिनय स्थल | Beautiful Sites near Kausani
यहां के लगभग सभी दर्शनीय स्थल प्रसिद्ध है जो इस इस छोटे से गांव की महत्वता पर चार चाँद लगा देते हैं।
- अनाशक्ति आश्रम – इसे गांधी आश्रम भी कहा जाता है, इसका निर्माण गांधी जी को श्रद्धांजलि देने के लिए किया गया है। अनाशक्ति आश्रम की नींव गाँधी जी विदेशी शिष्या सरला बहन द्वारा 1946 में रखी गयी थी। सरला बहन का वास्तविक नाम कैथरीन हेइलमैन था।
- लक्ष्मी आश्रम – लक्ष्मी आश्रम की नींव भी सरला बहन ने रखी थी । यह कौसानी से 1 किमी की दूरी पर स्तिथ है।
- पंत म्यूज़ियम – पंत म्यूज़ियम महान कवि सुमित्रानंदन पंत जी की याद में बना है। यहां उनके जीवन से जुड़ी वस्तुएं और उनकी रचनाओं का संग्रह है।
- पिनाकेश्वर मंदिर – पिनाकेश्वर मंदिर में भगवान शिव की पूजा पिनाकेश्वर महादेव के रूप में की जाती है। यह ट्रेकिंग पसंद करने वालो के लिए बहुत ही अच्छी जगह है । यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य अद्भुत है।
- सौमेश्वर मंदिर – कौसानी से 19 किमी. दूर यह मंदिर बेहद खूबसूरत है। सौमेश्वर मंदिर का निर्माण कत्यूरी शासनकाल में हुआ था, इसलिए यह कत्यूरी शैली में बना है।
- कौसानी चाय बागान – कौसानी के चाय बागान पूरी दुनिया में मशहूर है। करीब 210 हैक्टेयर के एरिया में यह बागान फैले है। सबसे मशहूर चाय ‘गिरियास टी ‘ भी यहां उगाई जाती है। इस चाय को बाहर देशों में भी एक्सपोर्ट किया जाता है।
- प्रमुख व्यंजन – कौसानी में आलू–गुटका बहुत खाया जाता है । यह वहां का मशहूर व्यंजन है । इसमें आलू को उबालकर उसमें नमक–मिर्च डाल के चाय के साथ खाया जाता है। यहाँ की बाल मिठाई भी बहुत मशहूर हैं।
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कौसानी के आसपास के स्थान
- अल्मोड़ा
- बैजनाथ
- बागेश्वर
- गरूर
- चौकोरी
- बेरीनाग
- ग्वालदम
- बदन गरि मंदिर
- अंगयारी मंदिर
- कोटे माई मंदिर
- कृष्ण गारी
- लूबंज गांव
- रुद्रधारी धाम
कौसानी में प्रमुख ट्रेक
- पिंडारी ग्लेशियर ट्रेक
- कफनी ग्लेशियर ट्रेक
- सुंदर ढुंगा ट्रेक
- मिलम ग्लेशियर ट्रेक
- रुद्रहारी गुफा मंदिर ट्रेक
- कफारी (कौसानी से 3 किमी)
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कौसानी कैसे पहुंचे | How To Reach Kausani
यहां बस, रेल, या हवाई जहाज़ किसी भी मार्ग से आया जा सकता है। पंतनगर हवाई अड्डा यहाँ का सबसे नज़दीक का एयरपोर्ट है। जो कौसानी से 178 किमी की दूरी पर है। कौसानी के लिए दिल्ली से बसें नियमित रूप से चलती है । यहां घूमने के लिए मार्च से सितंबर तक समय सबसे अच्छा है।
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