Temple Uttarakhand

Tadkeshwar Mahadev, Lansdowne Pauri Garhwal | ताड़केश्वर महादेव

केदार क्षेत्र में 5 शैवपीठ आते हैं। एकेश्वर महादेव, ताड़केश्वर महादेव (Tadkeshwar Mahadev), बिंदेश्वर महादेव, क्यूँकालेश्वर महादेव, किलकिलेश्वर महादेव। हम यहाँ बात करेंगे ताड़केश्वर महादेव की महिमा एवं पौराणिक मान्यताओं के बारे में।

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ताड़केश्वर महादेव | Tadkeshwar Mahadev

ताड़केश्वर महादेव (Tadkeshwar Mahadev) का मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के जयहरीखाल विकासखंड में चखुल्या खाल गांव के पास स्थित है।  लैंसडाउन से 38 किलोमीटर, कोटद्वार से 70 किलोमीटर और रिखणीखाल से 26 किलोमीटर की दूरी पर 1800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ देवदार, बांज, बुरांश और काफल के वृक्षों के बीच स्थित ताड़केश्वर महादेव का मंदिर है जो कि भगवान शिव को समर्पित है यह सदियों से लोगों की आस्था का केंद्र रहा है।

यहाँ शिवरात्रि पर विशेष पूजा-अर्चना होती है। शिवरात्रि के दिन यहां भव्य मेले का आयोजन होता है यहां देख कर लगता है कि प्रकृति भी पूरी तरह से भगवान शिव पर मोहित है और इसलिए यह प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श स्थल है। ताड़केश्वर महादेव क्षेत्र को योग और साधना के लिए उत्तम स्थल माना जाता है। ताड़केश्वर महादेव इस क्षेत्र के कई गांव के कुल देवता भी है।

 

Tadkeshwar Mahadev Mandir
Tadkeshwar Mahadev Mandir

पौराणिक कथाएं  | Legands

एक कथा के अनुसार ताड़कासुर का वध करने के बाद भगवान शिव यहां पर आराम करने के लिए आए थे सूर्य की ताप से बचाने के लिए मां पार्वती ने यहां देवदार 7 वृक्ष लगाए थे और कुछ का मानना है कि मां पार्वती ने स्वयं देवदार के वृक्षों का रूप धारण कर लिया था मंदिर के आँगन और आसपास अब भी देवदार के वृक्ष है।

दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार कुछ अलग तरह का वर्णन है इस कथा के अनुसार तारकासुर की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे अमरत्व का वरदान दे दिया था इसमें केवल एक शर्त थी कि भगवान शिव का पुत्र ही उनका वध कर पाएगा।
तारकासुर ने यह वरदान स्वीकार कर लिया इसके बाद तारकासुर का स्वभाव बदल गया। ताड़कासुर ने निर्दोष लोगों और साधुओं को मारना शुरू कर दिया और पूरे क्षेत्र में मार-काट करने लगा ऐसे में सभी साधु भगवान शिव की शरण में पहुंचे और फिर भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया और कार्तिकेय का जन्म हुआ कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया लेकिन जब वह अंतिम सांसे ले रहा था तब उसे अपनी भूल का बोध हुआ। तारकासुर ने भगवान शिव का ध्यान किया और उनसे क्षमा माँगी। भगवान शिव ने उसे क्षमा कर दिया। भगवान शिव ने उसे वरदान दिया कि कलयुग में लोग यहां ताड़केश्वर महादेव के नाम से पूजा करेंगे। इसलिए तारकासुर ने जहां पर तपस्या की थी वहां पर स्थित मंदिर को लोग ताड़केश्वर महादेव के नाम से जानते है।

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Tadkeshwar Mahadev Mandirमान्यताएं | Beliefs

कहते है कि ताड़केश्वर महादेव (Tadkeshwar Mahadev) ने अपने भक्तों के सपनों में आकर कहा था कि यह मंदिर उनका आवास है और देवदार का सुंदरवन उनका उद्यान है। यह भी मान्यता है कि एक विशेष जाति के लोगों का यहां आना वर्जित है। इस मंदिर में सरसों का तेल भी नहीं चढ़ाया जाता है। ताड़केश्वर महादेव मंदिर में पहले शिवलिंग थी लेकिन अब यहां भगवान शिव की मूर्ति है जिसमें वह तांडव करते हुए दिखाए गए हैं।

कहा जाता है कि जहां शिवलिंग थी वहां कुछ साल पहले भगवान शिव की यह मूर्ति मिली थी। शिवलिंग अभी भी मंदिर के आँगन में है। शिवलिंग में जो जल चढ़ाया जाता है वह मंदिर परिसर में जिस कुंड का है उसके बारे में कहा जाता है कि इसे मां लक्ष्मी ने बनाया था। मंदिर में नारियल और तिल का तेल चढ़ाया जाता है। मुख्य मंदिर के समीप एक अन्य मंदिर है जो मां पार्वती का है। मंदिर परिसर में ही हवन कुंड है जहां पर अग्नि प्रज्वलित रहती है। यहां पर भक्तगण धूप अर्पित करते है। ताड़केश्वर मंदिर में लोग अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और जिस भक्त की मनोकामना पूर्ण होती है वह मंदिर में घंटी चढ़ाता है। प्रवेश द्वार से मंदिर तक इन घंटियों को देखा जा सकता है।

मंदिर के समीप आश्रम और धर्मशाला भी बनाई गई है जहां पर खानपान की व्यवस्था है। यहां पर हर साल भंडारे का आयोजन किया जाता है। यहां पर एक देवदार का वृक्ष है जो 4 शाखाओं में विभाजित है उसे आप कहीं से भी देखें तो त्रिशूल की आकृति दिखाई देती है।



Tadkeshwar Mahadev Mandir

ताड़केश्वर महादेव मंदिर कब जाएं | How to Reach Tadkeshwar Mahadev Temple

ताड़केश्वर मंदिर (Tadkeshwar Mahadev Temple) से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर मुख्य सड़क मार्ग है। कोटद्वार होते हुए आप ताड़केश्वर जा सकते है। सड़क के दोनों ओर चीड़, बांज और काफल के वृक्ष है। जो आपकी यात्रा को सुखद बनाते है। ताड़केश्वर महादेव की यात्रा का सबसे उपयुक्त समय मार्च से अगस्त तक का है गर्मियों के समय मंदिर सुबह 5:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक खुला रहता है। सर्दियों में 6:30 से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है।

 

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By Astha Bhatt

तो ये थी उत्तराखंड में भगवान शिव के ताड़केश्वर महादेव मंदिर (Tadkeshwar Mahadev Temple) के बारे में यदि आपको ताड़केश्वर महादेव (Tadkeshwar Mahadev) से जुडी जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर करें साथ ही हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें।

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Deepak Bisht

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