अगर आपको प्रकृति से प्यार है, तो यह आर्टिकल अपको बेहद पसंद आने वाला है। आज हम आपको एक ऐसी जगह बताने वाले हैं, जिसे अगर आप एक बार देखने गए तो बार-बार देखने का मन करेगा। आज हम इस आर्टिकल में अपको उत्तराखण्ड की खूबसूरत फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान (The Valley Of Flowers) के बारे में बताएंगे।
फूलों की घाटी | The Valley Of Flowers
उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में नर एवं गंधमादन पर्वतों के बीच प्रकृति का एक सुन्दर बाग़ स्तिथ है। जिसे वैली ऑफ फ्लावर्स यानी कि फूलों की घाटी नाम से जाना जाता है। यह घाटी इतनी खूबसूरत है कि इसे 14 जुलाई 2005 को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइड में भी शामिल कर दिया गया है । फूलों की घाटी भारत के राष्ट्रीय उद्यान की श्रेणी में आता है। जिसे भारत सरकार ने वर्ष 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोसित किया। फूलों की घाटी का क्षेत्रफल की बात करे, तो यह 87.5 वर्ग किमी में फैला हुआ है। फूलों की घाटी से पुष्पावती नमक नदी निकलती है जो आगे चलकर अलकनंदा से मिल जाती है।
फूलों की घाटी का इतिहास | (Valley of Flowers history)
साल 1931 में माउंट कामेट अभियान से लौटते समय पर्वतारोही फ्रैंक एस स्माइथ, एरिक शिप्टन और आर एल हॉल्ड्सवर्थ ने फूलों की घाटी की खोज की थी। बता दें, माउंट कामेट से वापस लौटते समय पर्वतारोही अपना रास्ता भटक गए। फिर चलते-चलते पर्वतारोही गलती से फूलों की घाटी तक पहुँच गए और इसकी सुंदरता देखकर उन लोगों ने इसका नाम फूलों की घाटी रख दिया।
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फ्रैंक एस स्माइथ ने इस घाटी का जिक्र अपनी किताब द वैली ऑफ़ फ्लावर्स में किया है जिसके कारण समस्त विश्व को इस खूबसूरत हैरिटेज साइट का पता चला। फ्रैंक एस स्माइथ फूलों की घाटी से लौटते समय अपने साथ 250 किस्म के पुष्प के बीज भी ऑस्ट्रेलिया ले गए। उनके इस खोज के बाद वर्ष 1939 में इंग्लैंड की मारग्रेट लेग इन फूलों की प्रजातियों का अध्ययन करने उत्तराखंड आयी।
रामायण व स्कंदपुराण में भी है फूलों की घाटी का जिक्र
साल 1931 में पर्वतारोही ने फूलों की घाटी की खोज की थी। हालांकि, फूलों की घाटी का वर्णन हिंदू ग्रंथ में पहले से ही है। स्कंदपुराण के अनुसार फूलों की घाटी को नंदकानन कहा जाता है। वहीं महाकवि कालिदास ने मेघदूत में इस घाटी को अलका कहा है। जनश्रुति की बात करें तो फूलों की घाटी ही वो स्थान है, जहां से हनुमान जी लक्ष्मण जी के प्राण बचाने के लिए संजीवनी बूटी लाए थे। इसके आलावा फूलों की घाटी के अन्य उपनाम केदार ज्यू, बैकुंठ, भ्यूंडार, पुष्पावली और फ्रेंक स्माइथ घाटी भी है।
घाटी में.कई अनदेखी प्रजातियां हैं और जानलेवा फूल भी शामिल ..
समुद्रतल से 3600 मीटर ऊंचाई पर स्तिथ वैली ऑफ़ फ्लावर्स बेहद ही खूबसूरत है। यहां की खूबसूरती देखने के लिए भारत ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग आते है। बता दें,वैली ऑफ़ फ्लावर्स में 500 से अधिक फूलों की प्रजातियां देखने को मिलती हैं। आप यहां का नज़ारा देखेंगे तो यह अपको स्वर्ग से कम नहीं लगेगा। इस घाटी के नजारे देखते ही लोग सम्मोहित हो जाते है। यहां से वापस आने का मन नहीं करता है।
घाटी में जितने सुंदर फूल है उतने ही विषैले फूल भी है। वन विभाग ने घाटी में एकोनिटम बालफोरी और सेनेसियो ग्रैसिलिफ्लोरस नाम के फूलों पर अलग से निशान बना दिया है, जो काफी जहरीले होते हैं। सेनेसियो एक दुर्लभ प्रजाति का फूल भी है, जो लंबे समय बाद घाटी में खिला है। किसी ने यदि यह फूल तोड़ लिया या इसको मुंह में रख लिया तो यह जानलेवा हो सकता है। वहीं हाल ही के अध्ययनों में यहां अमेला या पोलीगेन नामक खरपतवार फूलों की घाटी में लगातार फ़ैल रहा है जो इस घाटी के लिए विनाशक बन गया है।
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फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुंचे ?
वैली ऑफ़ फ्लावर्स आप मई या फिर जून से लेकर अक्टूबर-नवंबर तक जा सकते है। यहाँ आने के लिए सबसे पहले आपको जोशीमठ आना पड़ेगा। जोशीमठ तक आप बस से पहुंच सकते हैं। जोशीमठ आने के बाद घाटी जाने के लिए सबसे पहले आपको बस या फिर शेयर टैक्सी से गोविंद घाट आना पड़ेगा और गोविंद घाट से 4 किमी. आगे घंगरिया की ओर पुलना गांव आना होगा, जो फूलों की घाटी का सबसे निकटतम सड़क-बिंदु है।
पुलना पहुंचने के बाद फूलों की घाटी जाने के लिए सबसे पहले आपको घंगरिया जाना होगा, जो पुलना से करीब 9 किमी. की दूरी पर स्थित है। घंगरिया से फूलों की घाटी करीब 1.5-2 किमी. की दूरी पर स्थित है और पुलना से फूलो की घाटी के 10.5-11 किमी. के इस दूरी को आपको पैदल ट्रेक करके ही जाना होगा।
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बिना आई कार्ड नहीं मिलेगा प्रवेश
अगर आप घाटी में जाने का प्लान कर रहे है, तो अपको बता दें, घाटी के अंदर जाने से पहले आपको रजिस्ट्रेशन कराना होगा, जिसके लिए आपको अपना एक आईडी कार्ड और ₹ 150 (प्रवेश शुल्क) देना पड़ेगा, तभी आपको अंदर जाने की अनुमति दी जाएगी। प्रत्येक अतिरिक्त दिन विदेशियों के लिए 250 रुपये और भारतीयों के लिए 50 रुपये अतरिक्त शुल्क का भुगतान करना होगा। घंगरिया से एक किलोमीटर से भी कम एक वन विभाग चेक प्वाइंट है, जो फूलों की घाटी की आधिकारिक शुरुआत को चिह्नित करता है। यह वह जगह है जहां आप पैसे का भुगतान करते हैं और अपना परमिट प्राप्त करते हैं।
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