
कत्यूरी शासकों की वंशावली Katyuri Vansh ki VanshaVali
कत्यूरी शासकों की वंशावली (Katyuri Vansh Ki Vanshavali): उत्तराखंड पर 700 ई में कत्यूरी वंश की स्थापना हर्ष की मृत्यु के बाद शुरू हुई। उस समय उत्तराखंड अनेक छोटे-छोटे हिस्सों में बंटा हुआ था। कत्यूरी वंश या कार्तिकेयपुर राजवंश के राजाओं ने ही उत्तराखंड को एक सूत्र में पिरोने का काम किया। उत्तराखंड में कई मंदिरों का निर्माण करवाया। कत्यूरी वंश (Katyuri Vansh) के काल में संस्कृति व कला के विकास के ही कारण इस वंश को उत्तराखंड का स्वर्णिम युग कहते हैं।
कत्यूरी वंश में तीन से अधिक परिवारों ने राज किया जिसमे बंसत देव, खर्परदेव, निम्बर वंश व सालोड़ादित्य परिवार की पीडियों का जिक्र सामने आता है। अभी तक प्राप्त ताम्र पत्र व भू अभिलेखों से इस वंश के 14 राजाओं का जिक्र सामने आता है। जिनकी जानकारी नीचे सारणी में दी गयी है। Katyuri Vansh ki VanshaVali
इस वंश के बारे में सारणी में सुबक्षीराज तक ही जिक्र है। जबकि इसके बाद असंतिदेव वंश का जिक्र भी मिलता है। जिसका अंतिम शासक ब्रह्मदेव को अत्याचारी व कामुक राजा बताया गया है।
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सभवतः इसके बाद ही कत्यूरी वंश के सवर्णिम काल का अंत हुआ होगा। वहीं अगर उत्तराखंड की परीक्षाओं की तैयारी करने वाले जिस किताब परीक्षा वाणी को पढ़ते हैं सालोड़ादित्य को शासक न मानकर वंश बताया गया है। जिसकी शुरुवात इच्छर देव द्वारा बताई गयी है।
वहीं घनश्याम जोशी की किताब उत्तराखंड का राजनैतिक, सामाजिक व सांस्कृतिक इतिहास में सालोड़ादित्य को शासक बताया गया है। नीचे घनश्याम जोशी व केशरी नंदन त्रिपाठी की किताब के आधार पर इस वंशावली को दिया गया है।
कत्यूरी शासकों की वंशावली (Katyuri Vansh Ki Vanshavali)
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