किसी भी संस्कृति, समाज, कला, पुरातात्विक इतिहास और आधुनिक इतिहास को समझने और उसे भावी पीढ़ी के लिए सुरक्षित रखने के लिए संग्राहालयों की स्थापना की जाती है। उत्तराखंड में भी लोकसंस्कृति, इतिहास और कला से सम्बन्धित वस्तुओं को सुरक्षित रखने के लिए कुछ उत्तराखंड के प्रमुख संग्रहालय स्थापित किए गए हैं। नीचे उन्ही उत्तराखंड के प्रमुख संग्रहालय के बारे में जानकारी दी गयी है।
Table of Contents
उत्तराखंड के प्रमुख संग्रहालय | Major Museums of Uttarakhand
देहरादून वन संग्रहालय | Dehradun Forest Museum
देहरादून वन संग्रहालय की स्थापना ने 1914 में की गई। यह संग्रहालय देश के प्रमुख वन संस्थान वन अनुसंधान केन्द्र (Forest Reserve Institute) में स्थित है। इस संग्रहालय में वनों से बनने वाले उत्पादों और सम्बन्धित विषयों पर नमूनों का संग्रह किया जाता है। हिमालय में मिलने वाली वनस्पतियों उनके बारे में जानकारी इस संग्रहालय में एकत्रित की गई है। इस संग्रहालय में वनोत्पादों के 18000 काष्ठ नमूनों का अद्भुत संग्रह मिलता है।
प. गोविन्द बल्लभ पंत राजकीय संग्रहालय, अल्मोड़ा | p. Govind Ballabh Pant State Museum, Almora
पंडित गोविन्द बल्लभ पंत के नाम पर अल्मोड़ा में स्थित संग्रहालय में कुमाऊं और गढ़वाल से प्राप्त पुरातात्विक खोजों से प्राप्त आभूषणों, सिक्कों व प्रतिमाओं का संग्रह किया गया है। इस संग्रहालय में पुरातात्विक मूर्तियां, सिक्के, शिल्पकला, पारम्परिक आभूषण के अलावा गोविंद बल्लभ पंत व सुमित्रा नंदन पंत के निजी आवासों से सम्बन्धित कई चित्र व उनकी निजी वस्तुओं को भी संग्रहित करके रखा गया है। इस संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1979 में की गई थी।
जिम कॉर्बेट संग्राहलय, कालाडुंगी | Jim Corbett Museum, Kaladungi
रामनगर नैनीताल मार्ग पर स्थित कालाढुंगी में प्रसिद्ध शिकारी जिम कॉर्बेट के नाम पर यह म्यूजियम (संग्रहालय) स्थापित किया गया है। इस संग्रहालय में जिम कॉर्बेट से सम्बन्धित पुस्तकों उनकी सामग्रियों को सुरक्षित करके रखा गया है। जिम कॉर्बेट द्वारा उत्तराखंड के गढ़वाल व कुमाऊं में आदमखोर बाघों को मारा गया था।
लोक संस्कृति संग्रहालय, (खुटानी) भीमताल | Folk Culture Museum, (Khutani) Bhimtal
नैनीताल में स्थित लोक संस्कृति संग्रहालय की स्थापना प्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता, इतिहासविद एवं चित्रकार पद्मश्री डॉ सुधर मठपाल द्वारा किया गया है। इस संग्रहालय में कुमाऊंनी लोक संस्कृति से सम्बन्धित कलाकृतियों वस्तुओं का संग्रह करके रखा गया है।
हिमालय पुरातत्व एवं नृवंशीय संग्रहालय | Himalayan Archaeological and Ethnological Museum
हिमालय पुरातत्त्व खोजों पर आधारित इस संग्रहालय की स्थापना गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर में 1980 में की गई। इस संग्रहालय में मध्य हिमालय की सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण व अनुरक्षण किया जा रहा है।
मौलाराम चित्र संग्रहालय, श्रीनगर | Molaram Chitra Museum, Srinagar
गढ़वाली चित्रशैली के प्रमुख चित्रकार मौलाराम के बनाए गए चित्रों व उनसे सम्बन्धित चीज़ों का संग्रह इस संग्रहालय में किया गया है। यह संग्रहालय भी श्रीनगर गढ़वाल में स्थित है।
इसे भी पढ़ें – उत्तराखंड की चित्रकला शैली का सम्पूर्ण इतिहास
तितलियों का संग्रहालय | Butterflies Museum Bhimtal
यह संग्रहालय नैनीताल के भीमताल कस्बे में फ्रेडरिक स्मेटा ने तितलियों की दुर्लभ प्रजातियों का संग्रह किया था। इस संग्रहालय में हिमालय की 550 से अधिक तितलियों और 11,000 शलयों व कीड़ों की प्रजातियों का संग्रह करके रखा गया है। जो संग्रहालय फ्रेडरिक स्मेटाचेक ने अपने आवास से जुड़े 2-3 पृथक कमरों में स्थापित किया था।
हिमालयन संग्रहालय उत्तरकाशी | Himalayan Museum Uttarkashi
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी के अन्तर्गत नवम्बर 1965 को हिमालयन संग्रहालय की स्थापना की गई। हिमालयन संग्रहालय में देवी देवताओं की मूर्तियां व अनुष्ठान करने वाले उपकरण रखे गए हैं। इसके अतिरिक्त इस संग्रहालय में गढ़वाल के पारम्परिक आभूषण, पारम्परिक रसोई के बर्तन, वाद्य यंत्र और राज्य की वनस्पतियों व जन्तुओं का संग्रह किया गया है। संग्रहालय में पर्वतारोहण तकनीक उपकरणों को भी संजोकर रखा गया है।
इसे भी पढ़ें – उत्तराखंड के प्रमुख नदियां एवं उनकी लम्बाई
हिमालय संग्रहालय, नैनीताल | Himalayan Museum, Nainital
हिमालयन संग्रहालय और हिमालय संग्रहालय में अक्सर लोगों को इनके स्थान को लेकर संदेह होता है। हिमालयन संग्रहालय जहां उत्तरकाशी में स्थित है वहीं हिमालय संग्रहालय की स्थापना कुमाऊं विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के परिसर में वर्ष 2005 में की गई है।
कुमाऊं विश्वविद्यालय में स्थित हिमालय संग्रहालय में उत्तराखंड के समाज, संस्कृति, राष्ट्रीय आन्दोलन, क्षेत्रीय पत्रकारिता, मन्दिरों, ताम्रपत्रों, दस्तावेजों और छाया चित्रों का संग्रह किया गया है। इस संग्रहालय में महात्मा गांधी की कुमाऊ आगमन से सम्बन्धित तस्वीरों को भी संजोकर रखा गया है। वहीं यहां उत्तराखंडी पत्रकारिता के अल्मोड़ा अख़बार, गढ़वाल समाचार, शक्ति, समता व प्रथम दैनिक पत्र पर्वतीय की फ़ाइलों को भी सुरक्षित रखा गया है। इस संग्रहालय में बारहवीं तेरहवीं सदी के सिक्के व दुर्लभ मूर्तियां भी संरक्षित हैं।
इसे भी पढ़ें – उत्तराखंड के प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए स्टडी मटेरियल
उत्तराखंड के प्रमुख संग्रहालय के बारे में यह जानकारी अगर आपको अच्छी लगती हैं तो पोस्ट शेयर करें साथ ही हमारे इंस्टाग्राम, फेसबुक पेज व यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें।