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Lakes in Garhwal uttarakhand| उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में झीलें

गढ़वाल क्षेत्र में झीलें | Lakes in Garhwal uttarakhand

उत्तराखंड अपनी संस्कृति और प्रकृति के कई मनोरम दृश्यों  के लिए प्रसिद्ध है।  यहाँ के खूबसूरत नज़रों से जो एक बार रूबरू होता है यहीं का हो जाता है।  यहाँ के ऊँचे ऊँचे पहाड़, खूबसूरत झरने, हवा के साथ सुर मिलाती नदियां और प्रकृति के आँचल में मोती से सजते झीले मन मोह लेती है।  इन्ही खूबसूरत नजारों को जिसने अपनी आँखों और आत्मा के पोरों में कैद कर लिया वो यहाँ का हो जाता है।  उत्तराखंड के इन्ही खूबसूरत नजारों में झांकते हुए हम बात करंगे आज उत्तराखंड गढ़वाल की खूबसूरत झीलों के बारे में।

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ये ब्लॉग पढ़ने से पहले एक बात जान लें की नीचे जितनी भी झीलों के बारे में बताया गया है उनमे सबसे  ज्यादा झीले गढ़वाल के चमोली जिले में कहा जाता है मगर जब से उत्तराखंड के टिहरी जिले में सहस्त्रताल के सात अन्य तालों के समूह मिले हैं। उनसे लगता है टिहरी जिले में ही सबसे ज्यादा झीलें हैं। पर यह बात आधिकारिक तौर पर नहीं कही गयी है इसलिए इस जानकारी पर अभी असुद्धत्ता बरकरार है।  तो आइये बताते हैं उत्ताराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में झीलें  कितनी हैं और उनके बारे में जानकारी।

•सहस्रताल सहस्रताल टीहरी गढ़वाल के घुत्तु में लगभग 1530 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक खूबसूरत झील है । जिसका नाम सहस्त्रताल रखा गया है। यह कई तालों का समूह है, जिसमें से सात झीलों को चिहिन्त कर लिया गया है। वो हैं दूधी ताल, दर्शनताल, लुम्बताल, लिंगताल, कोकालीतल, नरसिंगताल और परिताल। इन तालों की जानकारी आप नीचे भी पढ़ेंगे।

•यमताल- यमताल भी सहस्रताल के समीप ही स्थित है, जो सदैव बर्फ से ढका रहता है। ये ताल भी भिलंगना की रीजन में खतलिंग ग्लेशियर में मौजूद है।



• महासरताल – यह झील भी बाल गंगा घाटी में, सहस्रताल से कुछ ही दूरी पर स्थित है। इसका आकार दो कटोरेनुमा तालों जैसा है । इन दोनों तालों को भाई बहिनों का ताल भी कहा जाता है।

•बासुकीताल – बासुकीताल, टिहरी गढ़वाल के सुदूर उत्तर पूर्वी सीमा पर केदारनाथ के पश्चिम में 4150 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है । यह भी भिलंगना रीजन में मौजूद है।  इस ताल के जल का रंग लाल है।  जो पानी के स्वभाविक रंग से भिन्न है।  दन्त कथाओं  अनुसार इसकी कथा बासुकीनाग से जुड़ी है । इसके जल में नीले रंग के कमल खिलते हैं। जिसे नील कमल कहते हैं।



•मंसूर ताल – यह भी टिहरी गढ़वाल में खतलिंग ग्लेशियर के पास 16,500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इसके पास ही भिलंगना नदी की सहायक नदी दूध गंगा का उद्गम स्थल दूध गंगा ग्लेशियर है। यह भी सहस्त्रताल के आस पास ही मौजूद है।

•अप्सराताल या अछरी ताल – यह बूढ़ा केदार (टिहरी) के पास स्थित है। बूढ़ाकेदार घनसाली से 44 किलोमीटर की दुरी पर स्तिथ है। कहते हैं हैं कि इसके जल में स्वर्ग की अप्सराएँ स्नान करती थी ।

रूपकुंड – यह ताल चमोली जिले के धराली विकासखंड में बेदनी बुग्याल के निकट स्थित है । प्राचीन कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि इस साल का निर्माण शिव पार्वती ने कैलाश जाते हुए किया था । मां पार्वती ने अपने सौंदर्य का आधा इसी कुंड में छोड़ दिया था जिससे यह ताल प्राकृतिक रुप से अत्यंत सुन्दर है इसीलिए इसका नाम रूपकुंड पड़ा ।



यहां से राजा ये यशधबल और रानी बल्पा तथा उनके सैनिकों के कंकाल आज भी प्राप्त होते हैं यही कारण है कि इस झील को रहस्यमयी ताल या कंकाली ताल भी कहा जाता है । जब उत्तराखंड की आराध्य देवी नंदा की राजजात निकलती है तो इसी रूपकुंड के समीप ही विश्राम करती है।

•होमकुण्ड – यह झील रुपकुंड से 17 km आगे है , जो कि समुद्रतल से लगभग 4000 m की ऊँचाई पर स्थित है। यहीं से ही प्रत्येक 12 वर्ष के पश्चात् आयोजित होने वाला नंदा राजजात यात्रा में चार सिंह वाला खाडू अकेला छोड़ दिया जाता है। यही से खाडू कैलाश तक की यात्रा सवयं करता है बाकि लोग यहाँ से वापस आ जाते हैं।

•हेमकुंण्ड या लोकपाल – चमोली जिले में स्थित इस झील के किनारे सिक्खों के  दसवें गुरू गोविंद सिंह ने तपस्या की थी । यहां एक प्रसिद्ध गुरुद्वारा, हेमकुंड साहिब और लक्ष्मण जी का प्राचीन मंदिर है इस सरोवर से अलकनंदा की सहायक नदी लक्ष्मण गंगा नदी निकलती है । यह झील सात पर्वतों से घिरी है ।



•सतोपंथ ताल – बद्रीनाथ से 21 km उत्तर-पश्चिम दिशा में समुद्रतल से लगभग 1334 m की ऊँचाई पर स्थित इस ताल के तीन कोण हैं । मान्यता है कि इन तीनों कोणों में ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश ने तपस्या की थी । अलकनंदा नदी इसी ताल से निकली है । इस झील के पास सूर्य कुंड और चंद्र कुंड नामक दो दाल स्थित हैं इस साल के तुरेग में भागीरथ खड़क की मानी स्थित है ।

• शरवदीताल या गांधी सरोवर – रुद्रप्रयाग में केदारनाथ मंदिर से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित शरवदीताल है।  इस ताल में ही  1948 में गांधी की मृत्यु के बाद उनकी अस्थियां प्रवाहित की गई थी।  इसलिए इसे गांधी सरोवर भी कहते हैं । इस ताल का अन्य नाम चौरा बाड़ी ताल भी है।

• विरहीताल या गौना झील – यह ताल चमोली जिले में स्थित है । ब्रिटिश काल में यह झील बहुत बड़ी थी उसमें नाव चलती थी लेकिन अब काफी हद तक सूख गई है ।

बेनीताल – चमोली में कर्णप्रयाग से नंदप्रयाग की ओर लगभग 30 किलोमीटर और आदिबद्री से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस साल की लंबाई 320 मीटर और चौड़ाई 150 मीटर है तथा यह 3000 m की ऊंचाई पर स्थित है। इसके निकट नन्दादेवी मन्दिर स्थित है ।

• लिंगाताल – चमोली के फूलों की घाटी के मध्य स्थित लिंगाताल के मध्य सुन्दर प्लेटों से सुसज्जित एक टापू है जो लिंग के रूप में सूर्य की रोशनी में भव्य दिखाई पड़ता है । इस साल से कुछ ही दूरी पर फूलों की घाटी में अंछरीताल स्थित है ।

• मातृकाताल – यह ताल चमोली जिले में फूलों की घाटी में लिंगाताल के पास स्थित है । इसे देवियाें का या मातृ-शक्ति का ताल भी कहा जाता है ।

• नरसिंह ताल – मातृताल से आगे यह झील स्थित है । जो मातृ ताल और लिंगा ताल से छोटा है ।



• सिद्धताल – नर सिंह ताल से आगे ऊंचाई पर स्थित झील की तलहटी में स्लेट की चट्टानें हैं जिनसे सुभाविक रूप से एक सिद्ध पुरुष की मूर्ति का अभास होता है ।

नचिकेता ताल – यह ताल उत्तरकाशी जिले में शहर से लगभग 32 किलोमीटर दूर घने जंगल में स्थित है । इसके किनारे एक छोटा सा मंदिर है । उदलक के पुत्र नचिकेता के नाम पर ही इसका नाम नचिकेता पड़ा ।

• डोडीताल – यह झील उत्तरकाशी जिले में स्थित है । 6 कोने वाला यह ताल सुन्दर मछलियों के लिए प्रसिद्ध है । भागीरथी की सहायक नदी असौ नदी यहाँ से निकलती है । इस ताल से कुछ ही दूरी पर बिना जल वाला काणा या अंधा ताल स्थित है ।

केदार ताल – उत्तरकाशी में गंगोत्री से 20 किलोमीटर की दूरी पर थालियां सागर पर्वत श्रृंखला में ताल स्थित है । थलैया सागर, जोगिन, भृग पंथ आदि पर्वत शिखरों पर पर्वतारोहण के लिए आधार शिविर इस झील के समीप लगाए जाते हैं ।



• सरताल – यह ताल उत्तरकाशी के बड़कोट तहसील में 5500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जो लगभग 900 मीटर की परिधि में फैला हुआ है ।

• रोही साड़ाताल – यह ताल भी उत्तरकाशी जिले में खाई के ओसला गांव से स्वर्गा रोहिणी की ओर सुंदर बुग्यालों के मध्य स्थित है ।

• भराडसरताल – भरसाडताल उत्तरकाशी जिले में समुद्र तल से लगभग 5000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। भराडसर ताल गढ़वाल की मुख्य झीलों में से एक है ।

• फाचकण्डी बयांताल – यह झील भी उत्तरकाशी जिले में स्थित है।  इस झील का जल अन्य झीलों के मुकाबले गर्म है। कहते हैं कि इसका जल उबलता रहता है।



•खिड़ा ताल – यह झील उत्तरकाशी जिले के हुरी गांव में स्थित है। इस झील का जल अत्यंत स्वच्छ है । इतना की आप पानी की सतह को भी देख सकते हैं।

देवरिया ताल – रुद्रप्रयाग के ऊखीमठ के सारी गांव (जो की उखीमठ से 15 किलोमीटर की दुरी पर स्तिथ है) से 3 किलोमीटर की चढ़ाई पर  स्थित  है। जो करीब डेढ़ किलोमीटर लंबा है । इस झील के चारों ओर बांज बुराँश के जंगल हैं। वहीँ इस ताल में चौखम्भा हिम शिखर का प्रतिबिम्ब मन मोह लेता है।

बधाणी ताल– रुद्रप्रयाग जिले में लस्तर गाड से लगता हुआ जखोली ब्लॉक से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बधाणी ताल के किनारे ही प्रत्येक वर्ष मेला लगता है । बधाणितल में सुंदर सुंदर रंग बिरंगी मछलियां देखने को मिलती हैं।

• भेंकताल – भेंकताल रुद्रप्रयाग के बधाण के पास स्तिथ है। इस ताल का आकार अंडाकार है ।


उत्ताराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में झीलें (Lakes in Garhwal uttarakhand)  व इन झीलों के बारे में और अधिक जानने के लिए इनके ऊपर क्लिक कीजिये।  वहीं  अगर आपको  उत्ताराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में झीलें पोस्ट पसंद आया तो इस पोस्ट को शेयर कीजिये साथ ही हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब कीजिये।

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Deepak Bisht

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