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दयारा बुग्याल ट्रेक | Dayara Bugyal Trek
उत्तराखण्ड घूमने फिरने के शौकीन घुमन्तूओं के लिए एक आदर्श राज्य है। यहाँ हर जिले में मंदिरों के अतिरिक्त कुछ ना कुछ एक ऐसा पर्यटक स्थल होता है जो पर्यटकों को अपनी ओर लुभाता है। उन्हीं में से एक खूबसूरत जगह है उत्तरकाशी में स्थित दयारा बुग्याल (Dayara Bugyal)। यूं तो उत्तरकाशी में और भी रमणीक और मनमोहक नजारे वाले बुग्याल हैं मगर जो मजा दयारा बुग्याल में है। वो कहीं और नहीं।
पर इससे पहले मैं दयारा बुग्याल के बारे में तमाम जानकारी आपको दूं। आप मेरे निर्देशों के अनुसार आँख बंद करके सोचें कि, एक खूबसूरत पहाड़ जिसकी ढलान पर नर्म मखमली घास है जिसपर आप बैठे हैं और दूर क्षितिज पर सूरज की हल्की रोशनी बाकी हो जिसकी हल्की नारंगी धूप आपके चहरे को छू रही हो ।
चारों ओर हवा में एक अलग ही खुशबू हो और आपकी जुल्फें उस हवा से नाच रही हो। हाथ में एक गर्म चाय का प्याला हो और बस आपके और इन नजारों के बीच नजरों से आँख मिचोली हो तो अंदर कुछ धड़केगा तो जरुर। बस इसी बेइंतहा मोहब्बत से धड़कनों को नजर अंदाज करके अब इस ओर चले आइए। कैसे आना है क्या खास है? मैं आपको बताता हूँ । आगे पढ़ें।
दयारा बुग्याल | Dayara Bugyal
उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित दयारा बुग्याल सुमद्र तल से 3048 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। चारों ओर बर्फ से ढके इस बुग्याल का रास्ता उत्तरकाशी गंगोत्री सड़क मार्ग पर स्थित भटवारी नामक स्थान से जाता है जहाँ से बरसू गांव पहुंचकर दयारा बुग्याल तक का पैदल सफर तय करना होता है।
पर मुश्किल नहीं है क्योंकि बरसू गाँव तक सड़क मार्ग उपलब्ध है मगर ये अंतिम गाँव होने के कारण यहाँ से 9 किलोमीटर पैदल तो चलना ही होगा। कहते हैं खूबसूरत चीज पाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। मगर आप अगर रोमांच प्रेमी हैं तो 9 किमी की दूरी कुछ भी नहीं।
क्योंकि इसे पार करके आपको जन्नत जैसे नजारे देखने को मिलेंगे। ये मैं नहीं ये दयारा बुग्याल के सुंदर जंगल, पहाड़ और खूबसूरत रेशमी घास कहती है। यही नहीं सर्दियों में आप यहाँ स्कींग के लिए भी आ सकते हैं।
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क्या देखने को मिलेगा इस बुग्याल में | What You Will See in Dayara Bugyal
अगर आप शहरों की भाग दौड़ से थककर थोड़ा अकेलापन, Me Time या शाँति चाहते हैं तो आपके लिए ये दयारा बुग्याल से खूबसूरत जगह कुछ भी नहीं। यहाँ आप कैंप लगाकर कुछ वक्त के लिए इस जन्नत में दुनिया से कट सकते हैं। यहाँ तक कि भारत के महान लोग विवेकानन्द, गाँधी या रामतीर्थ जैसे शख्सियतें भी शहरों से भागकर उत्तराखण्ड के इन वादियों में कुछ वक्त गुजारते थे।
वहीं जो अन्य राज्यों से नहीं है और उत्तराखण्ड के ही हैं उनके लिए भी उत्तराखण्ड की हर जगह को बारीकियों से जानने के लिए थोड़ा घुम्मकड़ तो बनना पड़ेगा।
खैर इस जगह आपको बंदरपूछ, कलानाग, श्रीखंड महादेव, श्रीकांत शिखर और गंगोली चोटी जैसे पर्वत शिखरों का खूबसूरत नजारा देखने को मिलेगा। हरी पीली बुग्याल और कुछ सघन वनों का नजारा देखने को मिलेगा। यही नहीं खूबसूरत पक्षियाँ देखने को मिलेंगी। जो आपकी ही तरह इन नजारों का आनंद लेने हर बसंत लौट आती हैं।
पर ऐसा नहीं है आपको यहाँ आने के लिए गर्मियों तक का इंतजार करना है। यहाँ सर्दियों में बर्फ से दयारा बुग्याल की ढलानें आच्छादित हो जाती हैं। जहाँ आप स्कींग का भी आनंद ले सकते हैं।
बस फिर सोचना क्या है। बस बैग पैक कीजिए और आ जाइए। कब तक दूसरों के यूट्यूब पर व्लाग देख देख कर आप घर बैठे तिल तिल जलेंगे। खुद का वीडियो बनाइए और यादें ले जाइए। वो कहते हैं ना जिंदगी ना मिलेगी दुबारा। बस रट्टा मार दीजिए और रास्ता हम बताते हैं।
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दयारा बुग्याल कैसे पहुंचे । How To Reach Dayara Bugyal?
दयारा बुग्याल आना आसान है आप देहरादून से इस बुग्याल के पहले पड़ाव बरसू गाँव तक आसानी से बस द्वारा पहुंच सकते हैं। वहीं अगर आप पर्सनल वाहनों में आ रहे हैं तो आप पहले उत्तरकाशी के यमुनोत्री सड़क मार्ग पर स्थित भटवारी पहुंचिए और यहाँ से बरसू गाँव पहुंचकर दयारा बुग्याल तक की 9 किमी यात्रा का सफर तय कीजिए।
इतना आसान है दयारा बुग्याल पहुंचना। खैर दयारा बुग्याल घूमिए और इस पोस्ट पर अपनी घुमक्क्ड़ी कहानी जरुर बताइयेगा, हम इंतजार करेंगे। और अगर नहीं घूमना तो मेरी किताब केदार अमेजोन पर जाकर पढ़िए । अच्छा लगेगा :))))))
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