भारत के उत्तराखंड राज्य की अस्थायी राजधानी देहरादून (Deheradun) उत्तराखंड के 13 जिलों में से एक है। इसका कुल क्षेत्रफल 300 वर्ग किमी है। इसमें 7 तहसील है विकासनगर, चकराता, देहरादून, ऋषिकेश, डोईवाला, कालसी और त्यूणी। देहरादून का उपनाम पांडवों और कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य के नाम से रखा गया था क्योंकि पौराणिक कथा अनुसार वह यहां आए थे इसलिए इस शहर को पहले द्रोणागिरी कहते थे। देहरादून में 6 विकासखंड है रायपुर, चकराता, डोईवाला, सहसपुर, कालसी और विकासनगर। देहरादून के पूर्व में टिहरी व पौड़ी, उत्तर में उत्तरकाशी, पश्चिम में हिमाचल और दक्षिण में हरिद्वार बसा हुआ है।
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देहरादून | Dehradun
कहते है कि सिक्खों के गुरु रामराय किरतपुर पंजाब से आकर यहाँ बस गए थे। मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब ने उन्हें कुछ ग्राम टिहरी नरेश से दान में दिलवा दिया था जिसे यहाँ उन्होंने सन् 1699 ई. में मुग़ल मक़बरों से मिलता-जुलता मन्दिर भी बनवाया जो आज तक प्रसिद्ध है। शायद गुरु का *डेरा* इस घाटी में होने के कारण ही इस स्थान का नाम *देहरादून* (Deheradun) पड़ा। देहरादून शहर पर्यटन, शिक्षा, स्थापत्य, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए अत्याधिक प्रसिद्ध है।
देहरादून (Deheradun) पर्यटकों के लिए बेहद ही खास है जो पर्यटक साहसिक गतिविधियों के शौकीन है वह अपने दोस्तों व परिवार-जनों के साथ एक रोमांचकारी ट्रिप पर आते है साथ ही इसके अलावा देहरादून कई प्राचीन गुफाएं और प्राकृतिक झरनों से घिरा हुआ स्थान है। यहां एक लोकप्रिय रॉबर गुफा है जो कि पहाड़ियों से घिरी हुई एक प्राकृतिक गुफा है। प्रकृति प्रेमियों के लिए एक अन्य लोकप्रिय स्थल लच्छीवाला है। जहां पर्यटक एकान्त में बैठकर मानव निर्मित झील और उसके चारों ओर फैली घनी हरियाली का आनंद ले सकते है। लच्छीवाला नामक इस स्थान पर पर्यटकों के लिए ट्रेकिंग और बर्डवॉचिंग की भी व्यवस्था है।
देहरादून का इतिहास | History of Dehradun
पौराणिक कथाओं और सांस्कृतिक में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून भी शामिल है। इसका इतिहास महाभारत और रामायण के समय से जुड़ा है। कहा जाता है, कि भगवान राम और लक्ष्मण लंकापति रावण का वध करके इसी रास्ते से गुजरे थे। ठीक ऐसे ही यह भी कहा जाता है कि यह शहर महाभारत के समय से कौरवों और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य से भी जुड़ा है। यहाँ के मंदिरों का इतिहास 2000 साल पुराना है। यमुना नदी के तट पर कालसी में अशोक के शिलालेखों के मिलने से यह पता चलता है कि पहले यह क्षेत्र बहुत संपन्न हुआ करता था। फिर सन् 1756 में श्री गुरु राम राय ने देहरादून क्षेत्र में अपनी सेना और शिष्यों के साथ प्रवेश किया और दरबार साहिब की नींव रखकर यहीं बस गए।
राजपूतों के आ जाने से धीरे-धीरे यहाँ की आबादी बढ़ने लगी। आबादी तथा अन्न की उपज बढ़ने से गढ़वाल राज्य की आमदनी में भी बढ़ोतरी होने लगी। देहरादून की संपन्नता देखकर सन् 1757 में रूहेला सरदार नजीबुद्दौला ने हमला किया। इस हमले को रोकने में गढ़वाल राज्य नाकाम रहा, जिसके फलस्वरूप देहरादून मुगलों के हाथ में चला गया। देहरादून (Deheradun) के तत्कालीन शासक नजब खाँ ने इसके परिक्षेत्र को बढ़ाने में भरपूर कोशिश की। उसने आम के पेड़ लगवाने, नहर खुदवाने तथा खेती का स्तर सुधारने में स्थानीय लोगों तक मदद पहुंचाई, लेकिन नजब खाँ की मौत के बाद किसानों की दशा फिर दीनहीन हो गई। गुरु राम राय दरबार के कारण यहां सिखों की आवाजाही भी बढ़ चुकी थी। अत: एक बार फिर से देहरादून का गौरव समृद्धशाली क्षेत्र के रूप में फैलने लगा।
सन् 1785 में गुलाम कादिर ने इस क्षेत्र पर हमला किया। इस हमले के दौरान बहुत मारकाट मची। गुलाम कादिर ने लौटते समय उम्मेद सिंह को यहां का गवर्नर बना दिया। गुलाम कादिर के जिंदा रहते उम्मेद सिंह ने स्वामी भक्ति में कोई कमी न आने दी, लेकिन उनके मरते ही सन् 1796 में उम्मेद सिंह ने गढ़वाल राजा प्रद्युम्न शाह से संधि कर ली।
उसके बाद सन् 1801 तक देहरादून में अव्यवस्था बनी रही। प्रद्युम्न शाह का दामाद हरिसिंह गुलेरिया देहरादून (Deheradun) की प्रजा का उत्पीड़न करने वालों में सबसे आगे था। प्रद्युम्न शाह के मंत्री रामा और धरणी नामक बंधुओं ने देहरादून की व्यवस्था सुधार में प्रयास आरंभ किए ही थे कि प्रद्युम्न शाह के भाई पराक्रम शाह ने उनका वध करा दिया। अब देहरादून की सत्ता पूर्णसिंह के हाथों में आ गई, किंतु वह भी व्यवस्था में सुधार न ला सके। पराक्रम शाह ने अपने मंत्री शिवराम सकलानी को इस आशय से देहरादून भेजा गया कि वह उसके हितों की रक्षा कर सके। इन सभी के शासन काल में देहरादून का गवर्नर उम्मेद सिंह ही बना रहा। वह एक चतुर राजनीतिज्ञ था इसी कारण प्रद्युम्न शाह ने अपनी एक पुत्री का विवाह उसके साथ करके उसे अपना स्थायी शासक नियुक्त कर दिया।
कहा जाता है कि सन् 1803 में गोरखा आक्रमण के समय उम्मेद सिंह ने अवसरवादिता का परिचय इस प्रकार दिया कि युद्ध के समय वह अपने ससुर के पक्ष में खड़ा नहीं देखा गया। देहरादून को उसकी संपन्नता के कारण ही समय-समय पर लुटेरों की लूट एवं तानाशाहों की प्रवृत्ति का शिकार बनते रहना पड़ा।
सन् 1760 में गोरखों ने अल्मोड़ा को जीतने के उपरांत गढ़वाल पर धावा बोला। गढ़वाल के राजा ने गोरखों को पच्चीस सौ रुपये वार्षिक कर के रूप में देने का निर्णय लिया, लेकिन इतना नजराना पाने के बावजूद भी सन् 1803 में गोरखों ने गढ़वाली सेना से युद्ध छेड़ दिया जिसमें गोरखों की विजय हुई और उनका अधिकार क्षेत्र देहरादून तक बढ़ गया। ईस्ट इंडिया कंपनी ने देहरादून को गोरखों के प्रभाव से मुक्त कराने के लिए अंग्रेज सेना भेजी। अंग्रेजों ने बल का उपयोग करके गोरखों को खदेड़ बाहर किया और इस तरह उनका देहरादून में प्रभुत्व स्थापित हो गया।
उन्होंने अपने आराम के लिए सन् 1827 में देहरादून (Deheradun) में लंढोर और मसूरी शहर बसाया। कुछ समय के लिए देहरादून जिला कुमाऊँ मंडल में रहा फिर इसको मेरठ में मिला दिया गया। आज यह गढ़वाल मंडल में है। सन् 1970 के दशक में इसे गढ़वाल मंडल में शामिल किया गया। सन् 2000 में उत्तरप्रदेश से अलग होकर बने उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी देहरादून (Deheradun) को बनाया गया।
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देहरादून संबंधित अन्य जानकारी | Other information related to Dehradun
देहरादून के प्रसिद्ध मेले (Famous Fair of Dehradun) :- जौनसारी भाबर मेला, क्वानू, दशहरा, लखवाड़, महासू देवता, बिस्सू मेला, झंडा मेला, टपकेश्वर मेला, शरदोत्सव(मसूरी)।
देहरादून के प्रसिद्ध मंदिर (Famous temples of Dehradun):- महासू देवता, डाटकाली, टपकेश्वर, कालसी, सन्तलादेवी, बुद्धा टेम्पल।
देहरादून में प्रसिद्ध पर्यटक स्थल (Famous Tourist Places in Dehradun) :- डिअर पार्क, मसूरी, मालसी, डाकपत्थर, यमुना ब्रिज, त्रिवेणी घाट(ऋषिकेश), चकराता, लच्छीवाला, गुच्छूपानी, लाखामंडल, आसन बैराज, सहस्त्रधारा, एफ.आर.आई म्यूजियम, टाइगर फॉल।
देहरादून के संस्थान (Dehradun Institute) :– भारती सैन्य अकादमी, फारेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, लाल बहादुर शास्त्री अकादमी(मसूरी), भारती सर्वेक्षण संस्थान, वन्यजीव संस्थान, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, भारती पेट्रोलियम संस्थान, स्वामी राम हिमालय हॉस्पिटल, ए.आई.आई.एम.स(ऋषिकेश)।
देहरादून हवाई अड्डा (Dehradun Airport) :- जॉली ग्रांट।
देहरादून की नदियाँ (Rivers of Dehradun):– टोंस नदी, गंगा(ऋषिकेश), यमुना, सोंग नदी।
देहरादून के राष्ट्रीय उद्यान (National Parks of Dehradun):– राजाजी राष्ट्रीय उद्यान।
देहरादून की ताल (Dehradun Lake) :- चंद्रबाड़ी, कंसरोताल।
देहरादून की दर्रे (Dehradun Pass) :– तिमलीपास।
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देहरादून संस्कृति | Dehradun Culture
देहरादून (Deheradun) जिला उत्तराखंड राज्य की अस्थायी राजधानी है इसलिए यहाँ स्थानीय संस्कृति प्रमुख है। इस क्षेत्र में गढ़वाली भाषा बोली जाती है इसके अलावा यहाँ हिंदी और अंग्रेजी भाषा का भी उपयोग होता है।यहाँ विभिन्न धर्मों के लोग सद्भाव और शांति से रहते है। इस क्षेत्र में शिक्षा प्रणाली के सुधार से उचित परिवहन, संचार का अच्छा सिस्टम है। देहरादून देश के कई प्रमुख स्कूलों के लिए एक प्रकार से घर है।
खानपान | food and drink
देहरादून (Deheradun) में कई विकल्प मौजूद है, लेकिन यहां के स्थानीय व्यंजनों में कंडेली का साग, गहत की दाल, आलू के गुटके, निम्बू, काफली, गुलगुला के साथ-साथ कुछ अन्य पारंपरिक मिठाइयां भी शामिल हैं। जैसे – बाल मिठाई, अरसा और झंगोरा की खीर। इसके अतिरिक्त देहरादून में उत्तर भारतीय, चीनी, दक्षिण भारतीय, थाई, तिब्बती और कॉन्टिनेंटल व्यंजनों का आनन्द भी ले सकते हैं।
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