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उत्तराखंड के प्रमुख साहित्यकार | Famous Writers of Uttarakhand in hindi

उत्तराखंड के प्रमुख साहित्यकार

उत्तराखंड ना सिर्फ नैसर्गिक सुंदरता के लिए जाना जाता है बल्कि इस पहाड़ी राज्य की कला, संस्कृति और साहित्य ने भी विश्वभर में पहचान बनाई है। यहाँ की खूबसूरती ऐसी है कि इसके पहाड़ों की गोद एंव नदियों के किनारे ना जाने कितने लेखकों ने एकांत ढूंढा और कुछ ऐसा लिखा जो सदियों तक जीवत रहेगा। उत्तराखंड के प्रमुख साहित्यकार में हिन्दी शिरोमणि सुमित्रा नंदन पंत, मंगलेश डबराल, शेखर जोशी आदि एंव अंग्रेजी साहित्य में रसकिन बांड ने अमिट छाप छोड़ी है। नीचे उत्तराखंड के प्रमुख साहित्यकार के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई है अतः पोस्ट अंत तक पढ़ें।

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सुमित्रा नंदन पंत

सुमित्रा नंदन पंत का जन्म 20 मई 1900 को कौसानी में हुआ था।

• इनके बचपन का नाम को गोसाई दत्त था।

सुमित्रानंदन पंत के पिता गंगादत्त पंत की आठवीं संतान थी।

सुमित्रानंदन पंत हिन्दी साहित्य के छायावादी युग के प्रथम कवि हैं जिन्हें वर्ष 1968 में चिदंबरा के लिए प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

• वर्ष 2015 में सुमित्रानन्दन पंत पर डाक टिकट भी जारी हुआ।

सुमित्रानंदन पंत जी को 1960 में काला व बूढ़ा चाँद रचना के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला उन्हें 1961 में पंत जी को पद्मभूषण मिला और 1964 में उनके विशाल महाकाव्य लोकायतन के लिए सोवियत नेहरू शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

वीणा, ग्रंथी, पल्लव, गुंजन और ज्योत सिन्हा पंत जी की छायावादी काव्य रचनाएं हैं।

• वहीं युगवाणी व ग्राम्या रचनाएँ पंत जी की प्रगतिवादी रचनायें है।

• कुछ अन्य रचनाओं में शिल्पी, रजत शिखर, उतरा, वाणी पतझर, उनके नवचेतनावादी काव्य हैं।



शैलेश मटियानी

शैलेश मटियानी का जन्म 1931 को अल्मोड़ा में हुआ था।

• इन्हें राज्य के आंचलिक कथाकार या कथा शिल्पी के नाम से भी जाना जाता है इनका मूल नाम रमेश चंद्र था।

शैलेश मटियानी ने विकल्प पत्रिका का भी प्रकाशन किया है।

शैलेश मटियानी के कुछ कहानी संग्रहदो दुखों का एक सुख, चील, भविष्य और मिट्टी, हारा हुआ, बर्फ की चट्टानें, जंगल में मंगल, हत्यारे, नाच जमूरे नाच, महाभोज और उनकी पहली कहानी संग्रह मेरी 35 कहानियाँ प्रसिद्ध हैं।

• इसके अलावा शैलेश मटियानी के कुछ उपन्यास भी हैं जिनमें बोरीवली से बोरीबंदर, कबूतरखाना, चौथी मुट्ठी, एक मूंठ सरसों, भागे हुए लोग, छोटे छोटे पक्षी, उगते सूरज की किरण, रामकली 52 नदियों का संगम, मुठभेड़ और चन्द औरतों का शहर आदि है।

• शैलेश जी द्वारा 2 निबन्ध संग्रह भी लिखे गए हैं जिनमें कागज की नाव और कभी कभार प्रसिद्ध हैं।

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मनोहर श्याम जोशी

मनोहर श्याम जोशी का जन्म 1935 में अजमेर में हुआ था कि मूल रूप से अल्मोड़ा के थे।

1982 में इनके द्वारा दूरदर्शन के लिए लिखा गया नाटक हम लोग पहला टेलीविजन धारिवाहिक था जो काफी प्रसिद्ध था।

मनोहर श्याम जोशी द्वारा लिखे क्याप उपन्यास को वर्ष 2006 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

मनोहर श्याम जोशी द्वारा हिन्दी फिल्म पापा कहते हैं को भी लिखा है।

• मनोहर श्याम जोशी द्वारा लिखित कुछ प्रसिद्ध उपन्यास कुरु कुरू स्वाह, कसप, कौन हूं मैं, उत्तराधिकारिणी आदि हैं।

• वहीं धारावाहिक की बात करें तो इन्होंने हमराही, भैय्या जी कहिन, मुंगेरीलाल के हसीन सपने, बुनियाद आदि की भी पट रचना भी की है।

क्याप व कसक इनके कुमाऊं के उपन्यास है।



गौरा पंत शिवानी

गौरापंत शिवानी का जन्म 1923 में राजकोट में हुआ था ये मूल रूप से अल्मोड़ा निवासी थी।

• गौरापंत शिवानी को भारतेंदु हरिश्चंद्र सम्मान 1979 एवं 1981 में पद्मश्री तथा 1997 में हिन्दी सेवानिधि राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। .

गौरापंत शिवानी की प्रमुख रचनायें विषकन्या, 14 फेरे, गहरी नींद, अतिथि, गेंदा, मायापुरी व कृष्णा कली आदि हैं।

विद्या सागर नौटियाल

  • विद्या सागर नौटियाल का जन्म 23 सितम्बर 1933 टिहरी के मालिदेवल गांव में हुआ था।
  • ये प्रसिद्ध कथाकार, स्वतंत्रता सेनानी एवं कम्युनिस्ट नेता रहे तथा जीवन भर उन्होंने ग्रामीण जीवन से जुडी समस्यांओं को आम जन मानस तक पहुँचाया।
  • इनकी प्रसिद्ध रचनाएँ – यमुना के बागी बेटे, भीम अकेला झुण्ड से बिछड़ा, उत्तर बयां आदि हैं।
  • इनकी कुछ कहानियाँ भी बहुत चर्चित रही जिनमे मूक बलिदान, भैंस का कट्या और फट जा पंचधार आदि हैं।
  • मोहन गाता जाएगा इनकी आत्मकथा है।

 

भजन सिंह ‘सिंह’

  • भजन सिंह का जन्म 26 अक्टूबर 1905 को पौड़ी के कोटसाड़ा सितोन्स्यूं गांव में हुआ था।
  • ये भारत के स्वंत्रता संग्राम में भी संघर्षरत रहे था भारत नौजवान सभा की सदस्यता ग्रहण कर योजना के तहत फ़ौज में भर्ती हो गए।
  • इन्होने 1926 से 1945 तक सिपाहियों में राष्ट्रीयता की भावना का प्रचार प्रसार किया।
  • पेशावर कांड के नायक चंद्र सिंह गढ़वाली इन्हें अपना प्रेरणा स्रोत मानते थे।
  • इनकी कुछ प्रमुख रचनाएँ – अमृत वर्षा, माँ, प्रेमबन्धन, कन्या विक्रय, मेरी वीणा, आर्यों का आदि निवास मध्य हिमालय तथा गढ़वाली में सिंघनाद, सिंह सतगई, गढ़वाली लोकोक्तियाँ, वीरवधू देवकी आदि हैं।Kedar by deepak bisht
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चंद्र कुवंर बर्त्वाल

  • चंद्र कुवंर बर्त्वाल का जन्म 20 अगस्त 1919 को रुद्रप्रयाग के मालकोटी गावं में हुआ था।
  • इनका वास्तविक नाम कुवंर सिंह बर्त्वाल था।
  • अपने छोटे से साहित्यिक कार्यकाल में इन्हें निराला के समकक्ष रखा जाता है।
  • इनकी प्रमुख कविता संग्रह हिमवंत है जो 1945 में प्रकाशित हुआ।
  • इनका निधन 14 सितम्बर 1947 को 28 वर्ष की आयु में हुआ था।
  • चंद्र कुवंर बर्त्वाल ने अपने छोटे से जीवन काल में गद्य, पद्य के साथ-साथ एकांकी, निबंध आलोचना आदि विधा में लिखा है।
  • इनके द्वारा लिखित काफल पाक्कू गीत को सर्वश्रष्ठ गीत के रूप में हिंदी के प्रेम चंद्र अभिनन्दन ग्रन्थ में स्थान  दिया गया है।

आचार्य भास्करानन्द लोहनी

  • आचार्य भास्करानन्द लोहनी का लोहनी का जन्म 1922 में हुआ था।
  • आचार्य जी अंक ज्योतिष, कर्मकांड, धर्मशास्त्र, वास्तुशास्त्र, सामुद्रिक शास्त्र आदि के विद्वान लेखक, पंचांगकर्ता, संपादक और पत्रकार रहे।
  • 1956 से 1977 से ये सबसे पुराने साप्ताहिक समाचार पात्र शक्ति से जुड़े रहे।
  • हिंदी की मासिक पत्रिका अग्रहायण का 1965 से सम्पादन कर रहे हैं।

इसे  भी पढ़ें – उत्तराखंड के लोकनृत्य के बारे में जानकारी 



मंगलेश डबराल

मंगलेश डबराल का जन्म 1948 में टिहरी गढ़वाल में हुआ था।

मंगलेश डबराल को वर्ष 2000 में हम जो देखते हैं रचना के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

• इनके द्वारा कुछ प्रसिद्ध काव्य संग्रह, पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो देखते हैं, नए युग के शत्रु व आवाज एक जगह आदि हैं ।

• इनके द्वारा रचित कुछ प्रमुख गद्यसंग्रह लेखक की रोटी, कवि का अकेलापन, व एक प्रसिद्ध यात्रा वृतांत एक बार आयोवा है।

• वर्ष 2001 में इन्हें आधारशिला पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

 

ललिता प्रसाद नैथानी

  • ललिता प्रसाद नैथानी का जन्म 1913 में पौड़ी गढ़वाल के नैथाण गांव में हुआ था।
  • लैंसडाउन में वकालत करते समय ये कर्मभूमि के प्रकाशन एवं संचालन में अपना योगदान देते रहे।
  • 1956 में उन्होंने कोटद्वार के सत्यपथ साप्ताहिक का प्रकाशन/सम्पादन शुरू किया।
  • इनकी प्रमुख रचनाएँ – गढ़वाल भावर तब और अब, मालिनी सभ्यता के खंडहर, कण्वाश्रम, गढ़वाली चित्रकला शैली आदि हैं।

 

शेखर जोशी

शेखर जोशी का सम्बन्ध अल्मोड़ा जिले से है।

• शेखर जोशी द्वारा रचित कुछ प्रमुख रचनायें मेरा पहाड़, कोसी का घटवार, एक पेड़ की याद, हलवाहा और डांगरी वाले हैं।

नौरंगी बीमार शेखर जोशी की एक प्रसिद्ध कहानी संग्रह है।

1987 में इन्हें इनकी एक प्रसिद्ध रचना एक पेड़ की याद के लिए महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।




डा० शिवप्रसाद डबराल

डॉ शिवप्रसाद डबराल को चारण उपनाम से जाना जाता है।

• इनका जन्म पौड़ी गढ़वाल में हुआ था।

• घुमक्कड़ी शौक के कारण इनको इन्सैक्लोपीडिया ऑफ उत्तराखंड कहा जाता है।

डॉ शिवप्रसाद डबराल चारण के प्रमुख रचनायें उत्तराखंड का इतिहास, गोरा बादल, गढ़वाली मेघदूत, उत्तरांचल के अभिलेख व मुद्रा आदि हैं ।

• इन्होंने दुगड्डा स्थित अपने घर पर उत्तराखंड विद्या भवन पुस्तकालय खोला है।

डॉ चरण ने भूगोल विषय से पीएचडी की है, इनके शोध का विषय अलकनंदा उपत्यका में घोषयात्रा, प्रवचन और ऋतुकालीन प्रवास था।

 

डॉ० चक्रधार बिजल्वान

  • डॉ० चक्रधार बिजल्वान का जन्म 1932 में हुआ था।
  • ये संस्कृत के मूर्धन्य विद्वान, उच्चकोटि के ग्रंथकार, शिक्षाविद, समीक्षक, भाषाविद व जनसेवी है।
  • इनके द्वारा लिखित प्रमुख ग्रन्थभारतीय ज्ञान मीमांसा, हिन्दू शकुनशास्त्र, भारतीय न्याय शास्त्र, न्याय और अद्वैतवेदांत के परिप्रेक्षय में ज्ञान और अज्ञान का तुलनात्मक समीक्षण, वैशेषिक दर्शन और ब्राह्मण ग्रंथाधारित शक्ति समुच्चय, भारत में योग तथा यौगिक प्रक्रियाओं का विकास, सारस्वत, सौरभम तथा मामनीविलास समाविष्ट आदि हैं।

 

शिवानंद नौटियाल

  • शिवानंद नौटियाल का जन्म 18 जून 1936 को पौड़ी गढ़वाल जिले के कोठाल ग्राम में हुआ था।
  • ये एक साहित्यकार, समाज सुधारक एवं रजनीतिज्ञ हैं।
  • इनकी प्रमुख पुस्तकें गढ़वाल (गंगा-यमुना के नैहर) के लोकनृत्य, तपोभूमि गढ़वाल आदि हैं।



दुर्गाचरण काला

दुर्गाचरण काला की प्रमुख रचनाएँ मैमोयर्स ऑफ राज कुमाऊं,जिम कॉर्बेट ऑफ कुमाऊं और हलसन साहिब ऑफ गढ़वाल आदि हैं।

हलसन साहिब ऑफ गढ़वाल में दुर्गाचरण द्वारा फ्रैड्रिक विल्सन की जीवनी लिखी गई है।

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इलाचंद्र जोशी

• इलाचन्द्र जोशी का सम्बन्ध अल्मोड़ा से है।

• इन्होंने अल्मोड़ा में सुधाकर नामक हस्तलिखित पत्रिका भी निकाली। इन्होंने विश्वमित्र नामक पत्रिका का संपादन भी किया है।

• इलाचंद्र जोशी को मनोवैज्ञानिक उपन्यासकार से संबोधित किया जाता है।

• इनकी प्रमुख रचनाओं में जहाज का पंछी, पर्दे की रानी, संन्यासी घृणा मई व प्रेत और छाया आदि हैं।

• इलाचन्द्र जोशी द्वारा लिखित सामाजिक उपन्यासों में सुबह के भूले व मुक्तिपथ सामाजिक उपन्यास है।




लीलाधर जगूड़ी

• लीलाधर जगूड़ी का सम्बन्ध टिहरी से है।

• वर्ष 2018 में लीलाधर जगूड़ी को उनकी रचना जितने लोग उतने प्रेम के लिए ब्यास सम्मान से सम्मानित किया गया।

अनुभव के आकाश में चांद कविता संग्रह के लिए उन्हें वर्ष 1997 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

लीलाधर जगूड़ी को 2004 में पद्मश्री सम्मान से भी सम्मानित किया गया।

• इनकी प्रमुख रचनाओं में बची हुई पृथ्वी, ईश्वर की अध्यक्षता में, भह शक्ति देता है, रात अब भी मौजूद, नाटक जारी हैमहाकाव्य के बिना आदि प्रसिद्ध हैं।

 

वीरेन डंगवाल

वीरेन डंगवाल का जन्म टिहरी गढ़वाल के कीर्तिनगर में हुआ।

• इनके पिता का नाम रघुनंदन प्रसाद डंगवाल था।

वीरेन डंगवाल को दुश्चक्र में श्रेष्टा के लिए वर्ष 2004 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

• इनकी कुछ अन्य रचनाएं ‘स्याही ताल’ वो ‘कवि ने कहा’ है।

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रस्किन बॉन्ड

रस्किन बॉन्ड का जन्म हिमाचल प्रदेश में हुआ लेकिन वर्तमान में यह मसूरी में रहते हैं।

• ये भारत के सबसे बड़े बाल साहित्यकार हैं। 1955 में इनकी पहली पुस्तक टॉप ऑफ़ द रूफ प्रकाशित हुई थी।

1992 में रस्किन बॉन्ड को साहित्य अकादमी पुरस्कार2014 में पद्म भूषण पुरस्कार मिला।




गिरीश तिवारी गिर्दा

• गिरीश तिवारी गिर्दा अल्मोड़ा के रहने वाले थे इनकी रचनाओं में प्रमुख नाटक नगाड़े खामोश हैं और धनुषयज्ञ है।

• गिरदा ने लोक गायक झूसिया दमाई पर भी शोध किया है।

• हमारी कविता के आखरी शिखरों के स्वर गिरदा जी की प्रमुख रचना है।

रमेश पोखरियाल निशंक

रमेश पोखरियाल का सम्बन्ध पौड़ी गढ़वाल से है।

• वर्तमान में 17 वीं लोकसभा में इन्हें मानव संसाधन विकास मंत्री बनाया गया है।

• इसके अलावा रमेश पोखरियाल उत्तराखंड के पांचवें मुख्यमंत्री बने थे।

• निशंक जी का पहला कविता संग्रह समर्पण था और अन्य कविता संग्रह ए वतन तेरे लिए, मुझे विधाता बनना है व नवांकुर है।

• निशंक जी द्वारा लिखित प्रमुख कहानी संग्रह भीड़ साक्षी है, एक और कहानी, बस एक ही इच्छा और रोशनी की किरण आदि हैं।

• निशंक द्वारा रचित के उपन्यास संग्रह मेजर निराला, पहाड़ से ऊँचा, बीरा, शिखरों का संघर्ष, अपना पराया आदि हैं।

• निशंक द्वारा रचित अन्य रचनाएं प्रलय के बीच, मेरी कथा मेरी व्यथा, सपने जो सोने न दें, सफलता के अचूक मंत्र संसार टायरों के लिए नहीं आदि है।

 

राजेश जोशी

नोट – राजेश जोशी मूलतः मध्यप्रदेश राज्य के भोपाल के रहने वाले हैं। अक्सर उत्तरखंड की राज्यस्तरीय परीक्षाओं में इनका नाम रखकर बच्चों को भ्रमित किया जाता है। इसलिए यह अतरिक्त ज्ञान के तौर पर  आपको बताया जा रहा है। ताकी आप इन्हें उत्तराखंड का समझकर भूल न करें।

राजेश जोशी को 2 पंक्तियों के बीच रचना के लिए 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।

• उनके द्वारा लिखित एक लम्बी कविता समरगाथा है।

राजेश जोशी द्वारा प्रसिद्ध ने कुछ रचनायें एक दिन पेड़ बोलेंगे, मिट्टी का चेहरा, नेपथ्य में हंसी आदि हैं।



उत्तराखंड के कुछ अन्य प्रमुख साहित्यकार

गोविन्द बल्लभ पंत प्रसिद्ध नाटककार व उपन्यासकार भी रह चुके हैं इनके द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध नाटक कोहिनूर का हीरा है, वहीं कुछ अन्य रचनाओं में अंगूर की बेटी, सुहाग बिंदी, गुरु दक्षिणा, काशी का जुलाह आदि हैं।

सुरिंदर सिंह पांगती का सम्बन्ध पिथौरागढ़ से है। इन्होंने धाद नामक संस्था का गठन किया है। इनकी प्रमुख रचना उत्तराखंड कितना सच और कितना छल है।

बलवंत मनराल की प्रमुख कविता पहाड़ के आगे भीतर पहाड़ है, इन्होंने रामपुर तिराहा कांड से दुखी होकर कत्युरी मानसरोवर पत्रिका का भी संपादन किया है।

पंकज बिष्ट का सम्बन्ध अल्मोड़ा से है। इनकी प्रमुख रचना उस चिड़िया का नाम एक उपन्यास है वहीं 15 जमा 25 व बच्चे गवाह नहीं हो सकते, इनके द्वारा लिखित कहानी संग्रह है।

राजेन्द्र धस्माना पौड़ी जिले से हैं। इनकी प्रमुख कविता संग्रह परवलह है और गढ़वाली नाटक – जय भारत जय उत्तराखंडअर्ध ग्रामेश्वर है।

उमाशंकर सतीश ने लिंग्विस्टिक स्टडी ऑफ जौनसारी नामक पुस्तक लिखी है। इनका सम्बन्ध रुद्रप्रयाग जिले से है। इनकी प्रमुख रचनायें पत्थर बोलते हैं सूरीनाम में हिन्दी कविता और गढ़वाली में जिकुड़ी बोलेली कविता है।

मोहनलाल बाबुलकर एक आंचलिक साहित्यकार हैं इनका सम्बन्ध देवप्रयाग से है। इनकी रचना मिट्टी में सोना, हिमालय के वरदान, दहेज़, अंधेरे से उजाला, और सूरजमुखी का खेत आदि हैं।

 




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Deepak Bisht

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