उत्तराखंड के डीजे और रिमिक्स के बढ़ते कल्चर के बीच यदि आप कुछ नया और मिश्री भरे शब्दों को लपेटे कुछ अच्छा सुन्ना चाहते हैं, तो “गंज्याली” सुनिये।
आंख्योंन लांदी सुर्याली, खुट्योंन तलबली ढसाक.. गिंज्यालिन सरासरी कुटदि जब … अहा रे नाज धन तेरो भाग …. वाह जिसके लिरिक्स में मिठास है और ठेठ पहाड़ी की खुशबू है अंदाजा लगाइए सुनने में कैसा होगा … यूँ तो हर रोज़ कोई न कोई गाना निकलता रहता है मगर उनमे से कुछ ही ऐसे गाने होते हैं जिन्हे सुनकर कुतग्यलि लग जाती है। ऐसा ही एक गीत है “गंज्याली”, जिसका संगीत और गायन किया है गुंजन डंगवाल ने और इसके शब्दों को पिरोया है प्रदीप लिंगवाण और कैलाश डंगवाल ने। शब्दों की जादूगरी ही देखिये ये आपको गांव की मिटटी और “गंज्याली” के आवाज की याद दिला देगा। इस गाने में बहुत से ऐसे शब्दों का प्रयोग हुआ जिसे भाषा का उत्तम जानकर ही लिख सकता है। हर शब्द जैसे मिश्री की मिठास में डूबा है और जब ये शब्द सुनाई देते हैं तो दिल पर क्या लगती है क्या कहें। ऊपर से गुंजन और रणजीत सिंह की म्यूजिक में कलाकारी जैसे इन शब्दों को एक सुंदर माला में पिरो देता है। अगर आप को गढ़वाल की ठेठ पहाड़ी वाली खुसबू ना आए तो कहना। अच्छा लगता है ये देखकर की उत्तराखंड में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो डीजे के कानफाडू म्यूजिक के बीच कुछ नया कुछ अलग लाने की कोशिस करते हैं। गंज्याली गीत में ना सिर्फ नए जमाने का तड़का है बल्कि गढ़वाली खुशबू से सराबोर है। गुंजन लगातार उत्तराखंड के म्यूजिक में कुछ नया कुछ अलग का तड़का लगा रहे हैं।
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एमजीवी बैनर तले लांच हुआ ये गंज्याली गीत यूट्यूब पर धूम मचा रहा है। इसे काफी लोगों द्वारा सुना और पसंद किया जारा है। .. अगर आपने ये गीत नहीं सुना है तो नीचे देखिये। .. अच्छा सुनने में देर मत कीजिये।
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