नमस्कार आज हम इस पोस्ट में देवी के ऐसे मंदिर की जानकारी देने वाले हैं जहाँ जाकर आपको पाताल लोक का अनुभव होगा। साथ ही आपको शेषनाग और शिव के कई रूपों के भी दर्शन होंगे। इस जगह का नाम है पाताल भुवनेश्वर मंदिर, जो पिथौरागढ़ में स्तिथ है, जानिए इस मंदिर से जुड़े अद्भुत रहस्य।
पाताल भुवनेश्वर मंदिर | PATAAL BHUVANESHWER TEMPLE
पौराणिक कथाओं एवं मान्यताओं के अनुसार
वर्तमान में पाताल भुवनेश्वर गुफ़ा सैलानियों और पर्यटकों के लिए दर्शन का केंद्र है। यहाँ देश-विदेश से कई पर्यटक यहाँ गुफ़ा के दर्शन करने के लिए आते रहते है। हिंदू धर्म में भगवान गणेश जी को प्रथम पूज्य माना गया है। गणेश जी के जन्म के बारे में कई कथाएं प्रचलित है, कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव ने क्रोध में गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया था, बाद में माता पार्वती जी के कहने पर भगवान गणेश जी को हाथी का मस्तक लगाया गया था, लेकिन जो मस्तक शरीर से अलग किया गया था, वह मस्तक भगवान शिव जी ने पाताल भुवनेश्वर की गुफ़ा में रखा है।
इसे भी पढ़ें – कोटेश्वर महादेव की अद्भुत कथा, आखिर किससे डर कर छुपे थे भगवान शिव
इस गुफ़ा के अंदर केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के भी दर्शन होते है। बद्रीनाथ में बद्रीपंचायत की शिलारूप मूर्तियां है जिनमें यमकुबेर, वरुण, लक्ष्मी, गणेश तथा गरुड़ शामिल है। इस पंचायत के ऊपर बाबा अमरनाथ की गुफा है जहाँ पत्थर की बड़ी-बड़ी जटाएं फैली हुई है। इसी गुफ़ा में कालभैरव की जीभ के दर्शन भी होते है। इसके बारे में मान्यता है कि मनुष्य कालभैरव के मुंह से गर्भ में प्रवेश कर पूँछ तक पहुंच जाए तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
गुफा में घुसते ही नर्सिंग भगवान के दर्शन होते है, गुफ़ा से कुछ नीचे जाते ही शेषनाग के फनों की तरह उभरी संरचना पत्थरों पर नजर आती है, मान्यता है कि धरती इसी पर टिकी हुई है। गुफा के अंदर बढ़ते हुए गुफाओं की छत से गाय की एक थन की आकृति नज़र आती है, यह आकृति कामधेनु गाय का स्तन है। कहा जाता है कि देवताओं के समय में इस स्तन में से दुग्दधारा बहती थी, लेकिन कलयुग में अब इसमें दूध के बदले पानी टपक रहा है।
इस गुफ़ा के अंदर मुड़ी गर्दन वाला गौड़ (हंस) एक कुंड के ऊपर बैठा दिखाई देता है, यह माना जाता है कि भगवान शिव ने इस कुंड को अपने नागों के पानी पीने के लिए बनाया था इसकी देख-रेख गरुड़ के हाथ में थी लेकिन जब गरुड़ ने ही इस कुंड से पानी पीने की कोशिश की तो भगवान शिव ने गुस्से में गरुड़ की गर्दन मोड़ दी। पाताल भुवनेश्वर मंदिर की मान्यताएं और इसका इतिहास अपने में सम्पूर्ण है। यहाँ जाकर भक्तगण न केवल पाताल भुवनेश्वर मंदिर के दर्शन करते है बल्कि उनसे जुड़ी मान्यताओं और कथाओं से भी अवगत हो पाते है। यदि आप लोग कभी पिथौरागढ़ जिले में जाये तो गंगोलीहाट में स्थित पाताल भुवनेश्वर मंदिर के दर्शन जरूर करें।
कैसे पहुँचे
- पाताल भुवनेश्वर मंदिर जाने के कई रास्ते हैं। यहां जाने के लिए ट्रेन से काठगोदाम या टनकपुर जाना होगा। उसके आगे सड़क के रास्ते ही सफर करना होगा। अल्मोड़ा से पहले गंगोलीहाट शेराघाट, या बागेश्वर, या दन्या होकर जा सकते हैं।
- टनकपुर, पिथौरागढ़ से भी गंगोलीहाट जा सकते हैं।
- दिल्ली से बस द्वारा 350 कि.मी. यात्रा कर आप अल्मोड़ा पहुंच कर विश्राम कर सकते है और वहां से अगले दिन आगे की यात्रा जारी रख सकते हैं।
- रेलवे द्वारा यात्रा करनी हो तो काठगोदाम अन्तिम रेलवे स्टेशन है वहां से आपको बस या प्राइवेट वाहन बागेश्वर, अल्मोड़ा के लिए मिलते रहते हैं।
इसे भी पढ़ें –
दोस्तों ये थी पाताल भुवनेश्वर मंदिर (PATAAL BHUVANESHWER TEMPLE) के बारे में जानकारी। यदि आपको पाताल भुवनेश्वर मंदिर (PATAAL BHUVANESHWER TEMPLE) से जुडी जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर करें साथ ही हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें।
[…] स्तिथ हैं। जैसे पिथौरागढ़ जिले का पातल भुवनेश्वर मंदिर। ऐसा ही एक मंदिर पौड़ी गढ़वाल में […]
[…] […]
[…] रहस्यों से भरा है यहां पाताल भुवनेश्वर जैसे रहस्यमय मंदिर हैं तो बिसरी ताल […]