पौड़ी गढ़वाल | Pauri Garhwal
उत्तराखंड का पौड़ी गढ़वाल (Pauri Garhwal) जिला प्रकृति की एक अनमोल धरोहर है, जिसपर हर एक पहाड़ी को गर्व है। पौड़ी गढ़वाल जिले का क्षेत्रफल 5,329 वर्ग किमी है। पौड़ी गढ़वाल
पौड़ी गढ़वाल में 15 विकासखंड है कजलीखाल, पाबौ, पौड़ी, थलीसैंण, रिखणीखाल, बीरोंखाल, दुगड्डा, लैंसडाउन, कोट, यमकेश्वर, पोखड़ा, नैनीडांडा, खिर्सू, पाणाखेत और द्वारीखाल। यहाँ की एक-एक जगह दर्शनीय व धार्मिक है। गढ़वाली यहाँ की प्रमुख बोली जाने वाली भाषा है और उसके अलावा यहाँ हिंदी व अंग्रेजी भाषा भी बोली जाती है। इस ज़िले के उत्तर में चमोली, रुद्रप्रयाग और टिहरी, दक्षिण में उधम सिंह नगर, पूर्व में नैनीताल और पश्चिम में देहरादून एवं हरिद्वार सटा हुआ है।
इस जिले में पौड़ी, श्रीनगर, कोटद्वार, लैंसडाउन, दुगड्डा और देवप्रयाग जैसे प्रमुख शहर आते है। पौडी गढ़वाल (Pauri Garhwal) का मुख्यालय पौड़ी शहर में ही स्थित है। पौड़ी गढ़वाल में पर्यटन और धार्मिक स्थलों की कोई कमी नही है। जीवन की व्यस्तता के बीच एक शानदार अवकाश के लिए पौड़ी गढ़वाल एक आदर्श विकल्प है, जहां पर्यटक अधिक संख्या में घूमने आते है। उत्तराखंड के प्राकृतिक खजानों में *पौड़ी गढ़वाल* को आरामदायक अनुभव के लिए जाना जाता है।
यहां बर्फ से ढकी हिमालयी चोटियां, प्राचीन धार्मिक स्थल, नदी-घाटी और वनस्पति भंडार दूर-दराज के सैलानियों को यहां आने को मजबूर कर देते है। आत्मिक मानसिक शांति के लिए यह जगह सबसे खास माना जाती है,इसलिए यहां समय के साथ-साथ आध्यात्मिक केंद्र भी विकसित हो रहे है।
पौड़ी गढ़वाल का इतिहास | History of Pauri Garhwal
पौड़ी गढ़वाल का इतिहास उतना ही पुराना है जितना यहाँ के हिमालय क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता।
पौराणिक काल के अनुसार भारतवर्ष में शुरुआती दौर से रजवाड़ों का शासन रहा है उस समय राजा राज किया करते थे। इसी तरह उत्तराखंड में सबसे पुराना राजवंश *कत्यूरी* था। जिन्होंने अखंड उत्तराखंड पर शासन किया जिसके निशान शिलालेख व मंदिरों के रूप में आज भी कभी-कभी प्राप्त हो जाते है। *कत्यूरी* वंश के पतन होने के बाद, कहा जाता है कि एक प्रमुख सेनापति चंद्रपुरगढ़ क्षेत्र के थे।
उनका नाम राजा अजयपाल था जो कि सन् 1493 के अंतर्गत एक शक्तिशाली शासन के रूप में उभरे, वो *कनकपाल* के वंशज थे। राजा अजयपाल और उनके उत्तराधिकारीयों ने लगभग 3 सौ साल तक गढ़वाल में शासन किया। इस समय की अवधि में उन्होंने कुमाऊँ, सिख, मुग़ल और रोहिल्ला से कई हमलों का सामना किया था। पौड़ी गढ़वाल के इतिहास में गोरखा आक्रमण को एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है गोरखा अत्याधिक क्रूर माने जाते थे इसलिए *गोरखायनी* शब्द नरसंहार और लूटमार सेनाओं की निशानी बन गई थी। गोरखाओं ने कुमाऊँ अपने अधीन होने के बावजूद पौड़ी गढ़वाल के लंगूरगढ पर कब्जा कर लिया। और सन् 1804 में गोरखाओं ने पूरे पौड़ी पर कब्ज़ा कर लिया। क़रीब 12 साल तक पूरे उत्तराखंड राज्य में गोरखाओं का शासन रहा। इसके बाद सन् 1815 में अंग्रेजों ने गोरखाओं पर आक्रमण कर लिया और एक वर्ष तक चले इस युद्ध में अंग्रेजों की विजय हुई।
हालांकि यह भी ग़ुलामी ही थी लेकिन अंग्रेजों ने गोरखों की तरह क्रूरता नही दिखाई और पश्चिमी गढ़वाल क्षेत्र में अलकनंदा एवं मंदाकिनी नदी के पश्चिम में अपना राज स्थापित कर लिया। उस समय पौड़ी गढ़वाल को ब्रिटिश गढ़वाल कहा जाता था जिसमें देहरादून भी शामिल था। जिसमें से पश्चिम गढ़वाल का शेष हिस्सा *राजा सुदर्शन शाह* को दे दिया था, जिसे उन्होंने टिहरी को अपनी राजधानी बना लिया। शुरुआती दिनों में कुमाऊँ और गढ़वाल का मुख्यालय नैनीताल में स्थित था। लेकिन बाद में पौड़ी गढ़वाल (Pauri Garhwal) अलग हो गया, और सन् 1840 में सहायक आयुक्त के अंतर्गत पौड़ी को जिले के रूप में स्थापित किया गया जिसका मुख्यालय पौड़ी में गठित किया गया।
आजादी के शुरुआती दौर में गढ़वाल, नैनीताल और अल्मोड़ा जिलों को प्रशासन कुमाऊँ क्षेत्र का कमिश्नर संभालता था। उसके बाद सन् 1960 में गढ़वाल ज़िले से *चमोली* नाम का जिला अलग किया गया व सन् 1969 में गढ़वाल डिवीजन का केंद्र बना और इसका मुख्यालय *पौड़ी* (Pauri) को बनाया गया।
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पौड़ी गढ़वाल से जुड़ी अन्य जानकारी | Other information related to Pauri Garhwal
पौड़ी गढ़वाल के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल :- खिर्सू, चीला, कालागढ़, दुधातोली, पौड़ी, श्रीनगर, लैंसडाउन, कोटद्वार।
पौड़ी गढ़वाल के प्रसिद्ध मंदिर :- सिद्धबली, दुर्गा देवी, ज्वालपा देवी, नीलकंठ महादेव, धारीदेवी, चामुंडादेवी, ताड़केश्वर मंदिर, कालेश्वर मंदिर, विष्णु मंदिर।
पौड़ी गढ़वाल के राष्ट्रीय उद्यान :- सोनानदी राष्ट्रीय उद्यान, जिम कार्बेटराष्ट्रीय उद्यान, राजाजी राष्ट्रीय उद्यान।
पौड़ी गढ़वाल की गुफाएं :- गोरखनाथ गुफा।
पौड़ी गढ़वाल के संस्थान :- एन.आई.टी श्रीनगर, बी.ई.एल कोटद्वार, वीरचन्द्र सिंह गढ़वाली मेडिकल कॉलेज।
पौड़ी गढ़वाल की नदियाँ :- पश्चिम रामगंगा, नयार, अलकनंदा।
पौड़ी गढ़वाल के प्रसिद्ध मेले :- सिद्धबली जयंती, गेंदा कौथिक, वीरचन्द्र सिंह गढ़वाली मेला, मधुगंगा मेला, बैकुंठ चतुर्दशी मेला, ताड़केश्वर मेला, भुवनेश्वरी देवी मेला, कण्वाश्रम मेला, गंवाडस्यू मेला।
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