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रुद्रनाथ मंदिर | Rudranath Temple
भारत में उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल के चमोली जिले में भगवान शिव का एक मंदिर है जिसे “रुद्रनाथ” के नाम से जाना जाता है जो कि पंचकेदार में से एक है। पंच केदार में प्रथम केदार भगवान केदारनाथ है, जिन्हें बारह ज्योर्तिलिंग के रूप में जाना जाता है। दूसरा केदार मद्महेश्वर है। तीसरा केदार तुंगनाथ, चौथा केदार रुद्रनाथ और पांचवा केदार कल्पेश्वर है।
समुद्रतल से इस मंदिर की ऊँचाई 2,290 मीटर है। रुद्रनाथ यात्रा गोपेश्वर के सगर गाँव से लगभग 4 किमी की चढ़ाई कर उत्तराखंड के सुंदर *पुंग बुग्यालों* से प्रारंभ होती है। पर्यटक एवं भक्तगण चढ़ाई पार करके पहुँचते है पित्रधार स्थान पर जहाँ भगवान शिव, पार्वती और भगवान विष्णु का मंदिर स्थित है। जहाँ भक्त अपने पितरों के नाम के पत्थर रखते है। पित्रधार से लगभग 10 किमी की दूरी तय करके पहुँचते है *रुद्रनाथ मंदिर* (Rudranath Temple)।
भगवान शिव का रूप है रुद्रनाथ | Rudranath is the form of Lord Shiva
रुद्रनाथ मंदिर (Rudranath Temple) में भगवान शिव के चेहरे की पूजा की जाती है जबकि भगवान शिव के पूरे शरीर की पूजा नेपाल की राजधानी काठमांडू में *पशुपतिनाथ* मंदिर के रूप में की जाती है। रुद्रनाथ मंदिर प्राकृतिक पत्थरों से बना हुआ है। मंदिर में प्रवेश करने से पहले नारद कुंड है। जिसमें भक्तगण स्नान करके अपनी थकान मिटाते है और फिर दर्शन के लिए आगे बढ़ते है। इसके अलावा रुद्रनाथ मंदिर के निकट चन्द्र कुंड, मानकुंड, सूर्य कुंड, तार कुंड आदि ओर भी पवित्र कुंड स्थित है। मंदिर के समीप वैतरणी कुंड भी है जहाँ शक्ति के रूप में भगवान विष्णु जी की मूर्ति की पूजा की जाती है। मंदिर के दूसरी तरफ पांच पांडव सहित कुंती, द्रौपदी के साथ ही छोटे-छोटे मंदिर मौजूद है। श्रावण मास में पूर्णिमा के दिन मंदिर में वार्षिक मेला भी आयोजित किया जाता है। रुद्रनाथ मंदिर का पूरा परिवेश इतना अलौकिक है कि यहां के सौन्दर्य को शब्दों में बयान नही किया जा सकता है। यहाँ पर्यटक न केवल मंदिर में दर्शन करने आते है बल्कि ट्रैक का आनंद लेने भी आते है। मंदिर के चारों ओर हरियाली, फूल, जंगली जानवर आदि के दर्शन भी करने को मिलते है। मंदिर के आसपास भोज पत्र के वृक्षों के अलावा, ब्रह्मकमल भी यहाँ दिखाई देते है।
पौराणिक कथा अनुसार | According to legend
महाभारत युद्ध में विजयी होने पर पांडव भ्रातृहत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे, तो भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें कहा कि इस पाप से मुक्ति तो स्वयं भगवान शिव ही पांडवों को दे सकते है। इस बात को सुनकर पांडव भगवान शिव से आशीर्वाद लेने वाराणसी पहुंच लेकिन वहाँ उन्हें भगवान शिव नही मिले क्योंकि भगवान शिव उनसे रुष्ट थे क्योंकि पांडवों ने अपने कुल का नाश किया था इसलिए भगवान शंकर केदारनाथ जाकर अंतर्ध्यान हो गए और भैंस का रूप धारण कर लिया ओर अन्य पशुओं में जाकर मिल गए। उनका पीछा करते-करते पांडव भी केदारनाथ पहुंच गए। बहुत प्रयास करके जब भगवान शिव पांडवों को नही मिल पा रहे थे तो कुंती पुत्र भीम ने विशाल रूप धारण कर लिया और दो पहाड़ो के बीच पैर फैला दिया। अन्य सभी जानवर गाय, बैल, भैंस तो निकल गए परन्तु शिव जी रूपी भैंसे भीम के पैरों के नीचे से जाने को तैयार नही थे। पांडव समझ गए कि भगवान शिव ने भैंसे का रूप धारण किया है तभी भीम ने भैंसे पर बलपूर्वक झपटकर भैंसे का पिछला हिस्सा पकड़ लिया, और बाकी का हिस्सा भूमि में अंतर्ध्यान होकर नेपाल की राजधानी काठमांडू में प्रकट हुआ जिससे आज हम प्रसिद्ध *पशुपतिनाथ मंदिर* के नाम से जानते है। भगवान शिव पांडवों की भक्ति, दृढ संकल्प देखकर प्रसन्न हो गए और उन्होंने ततपश्चात पांडवों को दर्शन देकर पाप मुक्त कर दिया। उसी समय से भगवान शिव भैंस की पीठ की आकृति-पिंड के रूप में केदारनाथ जी में पूजे जाते है, इसके अतिरिक्त भगवान शिव की भुजाएँ तुंगनाथ, मुख रुद्रनाथ, नाभि मदमहेश्वर और जटा कल्पेश्वर में पूजी जाती है इसलिए इन पांच स्थानों को *पंचकेदार* कहा जाता है।
रुद्रनाथ ट्रेक | Rudranath trek
उत्तराखंड में वैसे तो बहुत से ट्रेक है जहाँ साल भर शैलानियों का ताँता लगा रहता है। मगर रुद्रनाथ ट्रेक भी एक एक ऐसा प्रसिद्ध ट्रेक है जिसे पर करने लोग हर साल रुद्रनाथ मंदिर के कपाट खुलने का बेसब्री से इंतजार करते हैं। रुद्रनाथ मंदिर के लिए प्रसिद्ध ट्रेक या तो सागर गांव, हेलंग या उरगाम गांव से शुरू किया जा सकता है। रुद्रनाथ ट्रेक (Rudranath trek) पर ना सिर्फ आप को प्रकृति के विभिन्न रंगो से रूबरू होने का मौका मिलेगा बल्कि उसके सजीव चित्रों को भीतर समेट कर परम आनंद की भी अनुभूति होगी। रुद्रनाथ ट्रेक (Rudranath trek) पर मंदिर की और जाते समय बुग्याल, बर्फीले पहाड़, खूबसूरत घाटियां, खूबसूरत पक्षियां और दुर्लभ जानवर देखने को मिलेंगे। रुद्रनाथ ट्रेक करते वक्त आपको बहुत ही दुर्लभ भुज पत्र के वृक्ष और ब्रह्मकमल भी देखने को मिलेंगे। ब्रह्मकमल एक दुर्लभ औषधि भी है जो मध्य हिमालय के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। रुद्रनाथ मंदिर के पास आपको सरस्वती कुंड है जो बरसात में बहुत ही खूबसूरत लगता है , इस पक्षियां स्नान करती हुई मिल जाएँगी। रुद्रनाथ ट्रेक (Rudranath trek) पर एक्प्लोरे करने के लिए बहुत कुछ है जिसे आप अपनी रुद्रनाथ यात्रा में समेट कर ले जा सकते हैं।
कैसे पहुंचे रुद्रनाथ मंदिर | How to reach Rudranath Temple
बस द्वारा
रुद्रनाथ गोपेश्वर- केदारनाथ रोड़ पर स्थित है। ऋषिकेश से सगर गाँव 219 किमी की दूरी पर है। सगर गाँव से रुद्रनाथ मंदिर (Rudranath Temple) की पैदल यात्रा 20 किमी की दूरी पर समाप्त होती है।
हवाई जहाज द्वारा
निकटतम हवाई अड्डा देहरादून जॉली ग्रांट है, जो गोपेश्वर से लगभग 258 किमी की दूरी पर है। इसके अतिरिक्त देहरादून हवाई अड्डे से बस व टैक्सी सेवाएं भी गोपेश्वर के लिए उपलब्ध है।
ट्रैन द्वारा
ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून सभी के पास रेलवे स्टेशन है। गोपेश्वर के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है जहाँ से बस एवं टैक्सी द्वारा भी पहुंचा जा सकता है।
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By – Astha Bhatt
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We gadwali ki jgh we uttarakhandi hota to mzza jyda ata
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