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उत्तराखंड विधानसभा क्षेत्र, विधानसभा सीटें व राज्य का राजनीतिक स्वरूप
उत्तराखंड का गठन 9 नवम्बर 2000 ईसवी को उत्तर के एक पहाड़ी राज्य के रूप उत्तर प्रदेश से अलग करके किया गया। पृथक राज्य के लिए उत्तराखंड के कई स्थानों पर जोर शोर से आन्दोलन हुए। इन जनान्दोलनों को दबाने की उत्तर प्रदेश सरकार ने भी कोशिशें की मगर नाकाम रहे।
उत्तराखंड पृथक राज्य की मांग हालांकि 1952 से उठने लगी थी, तथापि 1978 में समाज के सभी वर्गों ने उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी का गठन करके पृथक उत्तराखण्ड राज्य के आन्दोलन को व्यवस्थित रूप देने का प्रयास किया।
इसी क्रम में जुलाई 1979 को कुमाऊं विश्वविद्यालय के भूतपूर्व उपकुलपति डा देवीदत्त पंत की अध्यक्षता में एज राजनीतिक दल उत्तराखंड क्रांति दल (UKD) का गठन किया गया।
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इसमें शिक्षा शास्त्री, समाजसेवी, पर्यावरणविद, छात्र, महिलाएं तथा सभी धर्मों और विचारधाराओं के लोग सम्मिलित थे। इसका मुख्य उद्देश्य पृथक राज्य प्राप्ति था। उद्देश्य की पूर्ति हेतु शांतिपूर्ण व अहिंसात्मक आन्दोलन चलाने का संकल्प लिया गया और इन आंदोलनों के फलस्वरूप उत्तराखंड को 9 नवम्बर 2000 को पृथक राज्य के रूप में गठित कर यहाँ अंतरिम सरकार का गठन किया गया।
उत्तराखंड विधानसभा क्षेत्र
प्रारंभ में उत्तराखंड में उत्तर प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2000 के अनुसार 30 विधायक ही विधान सभा विधान परिषद के लिए निर्वाचित व मनोनीत हुए थे। लेकिन फरवरी 2008 में विधानसभा क्षेत्रों का पुनः परिसीमन करके राज्य में कुल विधानसभा सीटों की संख्या 71 हो गई।
वर्तमान में राज्य में विधानसभा की कुल 70 सीटें हैं जिनमें से 1 सीट पर एंग्लो इंडियन समुदाय के प्रतिनिधि का मनोनयन निश्चित किया जाता है। हल ही में हुए संवैधानिक संसोधन से अब एंग्लो इंडियन समुदाय के लिए आरक्षित सीटें समाप्त कर दी गयी है।
उत्तराखंड में कुल विधानसभा सीटें
उत्तराखंड में कुल 70 विधानसभा सीट है। इन सभी विधानसभा सीटों में से हरिद्वार व देहरादून जनपद में सबसे ज्यादा क्रमशः 11 व 10 सीट हैं। वहीँ सबसे काम विधानसभा सीटें चम्पावत, बागेश्वर और रुद्रप्रयाग में हैं। इन तीनों जनपदों में विधानसभा की 2 सीटें हैं।
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उत्तराखंड में विधानसभा सीटें व विधानसभा क्षेत्र
जनपद | विधानसभा सीटें | विधानसभा क्षेत्र |
देहरादून | 10 | विकासनगर, धर्मपुर, देहरादून, राजपुर (अ०जा०), मसूरी,
ऋषिकेश, रायपुर, डोईवाला, सहसपुर, चकराता (अ०ज०जा०) |
हरिद्वार | 11 | रुड़की, पिरानकलियार, मंगलौर, भेल, ज्वालापुर (अ०जा०)
झबरेड़ा (अ० जा०), लक्सर, खानपुर, हरिद्वार, हरिद्वार ग्रामीण भगवानपुर (अ०ज०) |
टिहरी गढ़वाल | 6 | टिहरी, घनसाली (अ०जा०), नरेंद्रनगर, देवप्रयाग, प्रतापनगर
धनोल्टी |
पौड़ी गढ़वाल | 6 | यमकेश्वर, कोटद्वार, चौबट्टाखाल, लैंसडाउन, पौड़ी (अ०जा०),
श्रीनगर (अ०जा०) |
नैनीताल | 6 | लालकुंआ, हल्द्वानी, नैनीताल (अ०ज०), रामनगर, भीमताल
कालाढूंगी |
पिथौरागढ़ | 4 | डीडीहाट, पिथौरागढ़, गंगोलीहाट (अ०जा०), धारचूला |
अल्मोड़ा | 6 | द्वाराहाट, सल्ट, रानीखेत, अल्मोड़ा, जागेश्वर, सोमेश्वर (अ०जा०) |
उधम सिंह नगर | 9 | जसपुर, काशीपुर, बाजपुर (अ०जा०), खटीमा, गदरपुर, रुद्रपुर
किच्छा, सितारगंज, नानकमत्ता ((अ०ज०जा०) |
चमोली | 3 | बदरीनाथ, कर्णप्रयाग, थराली (अ०जा०) |
चम्पावत | 2 | चम्पावत, लोहाघाट |
बागेश्वर | 2 | कपकोट, बागेश्वर (अ०जा०) |
रुद्रप्रयाग | 2 | रुद्रप्रयाग, केदारनाथ |
उत्तरकाशी | 3 | गंगोत्री, यमुनोत्री, पुरोला (अ०जा०) |
उत्तराखंड में राज्यसभा सीटें –
उत्तराखंड में राजयसभा की कुल 3 सीटें हैं। वर्तमान में इन तीन सीटों पर श्री अनील बलूनी, श्री नरेश बंसल, श्री प्रदीप टम्टा को राजयसभा सभा भेजा गया है।
उत्तराखंड में लोकसभा सीटें –
उत्तराखंड में लोकसभा की 5 सीटें हैं जो क्रमशः टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, नैनीताल, अल्मोड़ा, हरिद्वार संसदीय क्षेत्रों के अंतर्गत आते हैं।
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